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Jharkhand : स्वास्थ्य विभाग के गले की फांस बनी जीनोम सिक्वेंसिंग मशीनें, बिना टेंडर खरीदी गई 5.33 करोड़ की मशीन

जानकारी के मुताबिक बिना टेंडर 5.33 करोड़ रुपये में खरीदी गई, इन मशीनों को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। बतादें कि कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की जांच झारखंड में नहीं की जा रही है।

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

रांची, 30 मई। झारखंड में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन स्वास्थ्य विभाग के गले की फांस बन गई है। जानकारी के मुताबिक बिना टेंडर 5.33 करोड़ रुपये में खरीदी गई, इन मशीनों को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। बतादें कि कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की जांच झारखंड में नहीं की जा रही है। भले ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन झारखंड ने ओमिक्रॉन की जांच के लिए करोड़ों की मशीनें खरीदी हैं। लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन अभी इंस्टॉल कर ली गयी है। मशीन झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के लिए खरीदी गए हैं। इन मशीनों की आपूर्ति 29 मार्च 2022 को वैसे समय की गई, जब राज्य में कोरोना की तीनों लहरें गुजर चुकी थीं। तो इन मशीन की खरीदारी विभागीय संकल्प संख्या 107 (HSM) 31 मार्च 2020 के आधार पर की गई। जबकि इस संकल्प पर रोक लगाने से संबधी पत्र मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से 12 नवंबर 2021 को स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को भेजा गया था।

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मशीनों की खरीदारी के तरीके पर सवाल

5 करोड़ 33 लाख में खरीदी गई जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन बिना टेंडर क्यों खरीद ली गई?। मशीनों की खरीद का आधार विभागीय संकल्प को बनाया गया। जबकि इस पर रोक लगाने संबधी पत्र मुख्य सचिव के कार्यालय से नवंबर 2021 में जारी हुआ था। स्वास्थ्य विभाग में खरीदारी के लिए झारखंड मेडिकल एंड हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड प्रोक्योरमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (JMHIDPCL) काम कर रहा है। तो आखिर मशीन की खरीदारी के लिए मांग JMHIDPCL क्यों नहीं भेजी गई।

मशीनों की खरीदारी में इतनी जल्दबाजी क्यों की गई?

वहीं कोरोना की तीसरी लहर थम जाने के बाद मशीनों की खरीदारी में इतनी जल्दबाजी क्यों की गई?। जीनोम सिक्वेंसिंग मशीनों से राज्य में जांच शुरू नहीं की गई। तब किसको लाभ पहुंचाने के मकसद से इन मशीनों की खरीदारी की गई। आखिर क्या वजह है कि पिछले 6 महीनों में स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों जिसमें 9 के करीब IAS अधिकारियों का तबादला कर दिया गया। इनमें मिशन निदेशक से लेकर JMHIDPCL के MD सहित निदेशक फाइनेंस भी शामिल है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने राज्य के मुख्य सचिव के निर्देश की अनदेखी करने के बाद भी अपने पद पर कैसे बने हुए हैं?।

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जीनोम सिक्वेंसिंग मशीनों की पेमेंट का पेंच फंसा

जानकारी के मुताबिक जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन की खरीद की पेमेंट का मामला राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन झारखंड के निदेशक के टेबल पर फंसा हुआ है। मिशन के कोई भी जिम्मेदार आधिकारी, यहां तक कि मिशन निदेशक भी भुगतान प्रक्रिया निष्पादन में रुचि नहीं ले रहे हैं। इसके पीछे वजह ये बताई जा रही है कि नियमों को ताक पर रखकर मशीनों की खरीदारी की गई है। वहीं दूसरी ओर विभाग के जिम्मेदार पदों पर बैठे आला अधिकारी भुगतान का दबाव बना रहे हैं। राज्य के मुख्य सचिव के पत्र को दरकिनार करते हुए स्वास्थ्य विभाग ने जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन की खरीदारी की।

दबाव ऐसा कि बदल दिए निदेशक फाइनेंस

मिली जानकारी के मुताबिक निदेशक फाइनेंस की ओर से 31 मार्च 2022 तक मशीन का पेंमेंट नहीं करने पर एक अप्रैल को उनका तबादला कर दिया गया। पूरा मामला पेंचीदा होता जा रहा है। जिसमें ये भी कहा जा रहा है अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रखकर इन मशीनों की खरीदारी की गई। कहा तो ये भी जा रहा है कि जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन बाजार दाम से अधिक कीमत पर खरीदी गई है।

मुख्य सचिव ने लिखा था स्वास्थ्य सचिव को लेटर

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बतादें कि मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग झारखंड सरकार को 12 नवंबर 2021 को एक लेटर भेजा गया था। जिसमें लिखा गया था कि स्वास्थ्य विभाग के संकल्प संख्या 107 (HHM) 31 मार्च 2020 का पत्र आपके अवलोकनार्थ संलग्न है, कोरोना महामारी के दौरान जरूरी दवाइयों, उपकरणों और बाकी सामग्री के क्रम में सामान्य प्रक्रिया के तहत होने वाले देरी को कम करने के लिए एक संकल्प लाया गया था। जिसे मंत्री परिषद के अनुमोदन से वित्तीय नियमावली के नियम 235 के तहत 1 लाख 50 हजार से ऊपर की सामग्री की निविदा के माध्यम से क्रय करने का प्रावधान है, को शिथिल किया गया था। ये शिथिलीकरण कितनी अवधि के लिए होगा, इसका जिक्र पत्र में नहीं था।

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