Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. देश
  3. सुप्रीम कोर्ट ने नीट पीजी आरक्षण पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने नीट पीजी आरक्षण पर फैसला सुरक्षित रखा

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

नई दिल्ली, 06 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट ने नीट पीजी आरक्षण मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। सिन्हा आयोग ने व्यापक अध्ययन करके 2010 में रिपोर्ट दी थी जिसमें बताया गया था कि आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के आकलन करने के लिए हर राज्य में अलग पैमाना होना चाहिए, लेकिन मौजूदा सरकार ने पूरे देश में 8 लाख रुपये का मानक तय कर दिया।

पढ़ें :- PM मोदी आज रहेंगे पश्चिम बंगाल दौरे पर , भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में करेंगे चुनावी जनसभा

सुनवाई के दौरान आज अरविंद दातार के बाद वकील श्रीरंग चौधरी और आनंद ग्रोवर ने दलीलें रखीं। चौधरी ने ओबीसी की पहचान के साथ आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके के आकलन में कमियों की बात कही। आनंद ग्रोवर ने मांग की कि ईडब्ल्यूएस के लिए आय सीमा 8 लाख की बजाय 5 लाख रुपये सालाना रखी जाए।

काउंसिलिंग न होने से जूनियर डॉक्टरों पर बढ़ा काम का बोझ

सुनवाई के दौरान फेडरेशन ऑफ रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने कहा कि हर साल पीजी में 45 हज़ार नए दाखिले होते हैं। इस साल काउंसिलिंग न होने से जूनियर डॉक्टरों पर काम का बोझ बढ़ गया है। कोर्ट ने इस चिंता पर सहमति जताई। केंद्र की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 2019 में ही इस तरह के आरक्षण का फैसला लिया गया था।

तुषार मेहता ने 5 जनवरी को कहा था कि हमने 3 वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी बनाई थी और 31 दिसंबर को हलफनामा दाखिल किया है। श्याम दीवान ने कहा कि अभी तक यह मामला 3 जजों की बेंच में था लेकिन वहां जिरह अधूरी थी। श्याम दीवान ने कहा कि सिर्फ ईडब्ल्यूएस आरक्षण का मामला नहीं है। हमने ओबीसी आरक्षण को भी चुनौती दे रखी है। 25 नवंबर, 2021 को सरकार ने कहा था कि वह ईडब्ल्यूएस आरक्षण की समीक्षा कर हलफनामा देगी। तब तुषार मेहता ने कहा था कि अभी असामान्य स्थिति है। रेजिडेंट डॉक्टर भी काफी परेशानी उठा रहे हैं।

पढ़ें :- जम्मू-कश्मीर: सोपोर में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को मार गिराया

काउंसलिंग में देरी से डॉक्टरों की पढ़ाई हो रही प्रभावित

मेडिकल पीजी में नए छात्रों का दाखिला न होने का असर देश भर के मौजूदा पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल छात्रों पर पड़ा क्योंकि उन्हें बतौर जूनियर डॉक्टर अस्पतालों में ज्यादा ड्यूटी करनी पड़ रही है। इससे उनकी पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। इसके खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में जूनियर डॉक्टर आंदोलन कर रहे हैं। यही वजह है कि केंद्र ने कोर्ट से मामले की जल्द सुनवाई की मांग की है। मेहता ने कहा था कि कोर्ट के दखल के बाद काउंसलिंग रुक गई। तब पूर्वानुमान नहीं था कि भविष्य में कैसी स्थिति होगी। हमारा अनुरोध है कि काउंसलिंग शुरू करने दी जाए।

सुनवाई के दौरान श्याम दीवान ने कहा कि हमारा यही कहना है कि सरकार ने खेल के बीच में नियम बदले हैं। कोर्ट ने कहा था कि 25 नवंबर, 2021 को केंद्र सरकार ने कहा था कि ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के लिए मानदंड पर पुनर्विचार किया जा रहा है। कोर्ट ने नीट-पीजी की काउंसलिंग पर लगी अंतरिम रोक को बढ़ा दिया था। दीवान ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने कई आदेशों में कहा कि 50 फीसदी सीटें अनारक्षित रहेंगी। एक सरकारी आदेश से यह नहीं बदल सकता। पीजी में प्रतिभा के आधार पर प्रवेश होना चाहिए। कम से कम आरक्षण हो। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट एक फैसले में कह चुका है कि सुपर स्पेशियलिटी में आरक्षण सही नहीं है। पीजी को भी उसी तरह देखना चाहिए। सुनवाई के दौरान अरविंद दातार ने कहा था कि मैं ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर पक्ष रखूंगा। केंद्र ने बिना विस्तृत चर्चा किए पूरे देश के लिए आय सीमा 8 लाख रख दी। यह मनमाना फैसला था।

कोर्ट ने 6 अक्टूबर, 2021 को नीट-पीजी की काउंसलिंग पर अंतरिम रोक लगा दी थी। 21 अक्टूबर, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि वो ईडब्ल्यूएस के आरक्षण की पात्रता निर्धारित करने के लिए आठ लाख रुपये की वार्षिक आय के मानदंड को अपनाने के लिए क्या कवायद की। कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि ओबीसी और ईडब्ल्यूएस श्रेणियों के लिए समान मानदंड कैसे अपनाया जा सकता है जब ईडब्ल्यूएस आरक्षण में कोई सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ापन नहीं है।

पढ़ें :- राजस्थान में शाम पांच बजे तक 50.87 प्रतिशत मतदान
Advertisement