राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 45वें दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित किया। इस दौरान एमए पत्रकारिता में सर्वाधिक अंक पाने पर आयुषी तिवारी को राष्ट्रपति ने श्री अतुल माहेश्वरी स्मृति स्वर्ण पदक दिया।
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वाराणसी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 45वें दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित किया। इस दौरान एमए पत्रकारिता में सर्वाधिक अंक पाने पर आयुषी तिवारी को राष्ट्रपति ने श्री अतुल माहेश्वरी स्मृति स्वर्ण पदक दिया।
इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में आना अपने आप में सौभाग्य है। काशी का अभिप्राय है सदैव प्रकाशमान रहने और सदैव प्रकाशित रखने वाला ज्योतिपुंज। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे इस विद्यापीठ के पहले बैच के छात्र रहे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन मूल्यों को अपनाएं और अपने आचरण में इस पर अमल करें।
उन्होंने कहा कि आपके शिक्षण संस्थान की अत्यंत गौरवशाली विरासत का एक प्रमाण यह है कि दो-दो भारत रत्न इस विद्यापीठ से जुड़े हैं। भारत रत्न डॉक्टर भगवान दास जी काशी विद्यापीठ के प्रथम कुलपति थे और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री इस विद्यापीठ के पहले बैच के छात्र थे। वस्तुतः काशी विद्यापीठ से वर्ष 1925 में शास्त्री की उपाधि मिलने के बाद से ही उनके नाम के साथ ‘शास्त्री’ उपनाम जुड़ गया था।
राष्ट्रपति ने कहा कि शास्त्री जी ने जनसेवक के रूप में सरलता, निष्ठा, त्याग और दृढ़ता के उच्चतम आदर्श प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे शास्त्री जी के जीवन मूल्यों के अनुरूप अपने आचरण को ढालेंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि हिंदी माध्यम में उच्च स्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए बाबू शिव प्रसाद गुप्त जी ने काशी विद्यापीठ की अपनी परिकल्पना की चर्चा महात्मा गांधी से की थी और गांधीजी ने उसे सहर्ष अनुमोदन प्रदान किया था।
उन्होंने कहा कि देश की स्वाधीनता के 26 वर्ष पूर्व गांधीजी की परिकल्पना के अनुरूप आत्मनिर्भरता तथा स्वराज के लक्ष्यों के साथ इस विद्यापीठ की यात्रा शुरू हुई थी। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि यह एक प्रबल लोक मान्यता है कि काशी निरंतर अस्तित्व में बनी रहने वाली विश्व की प्राचीनतम नगरी है। बाबा विश्वनाथ और मां गंगा के आशीर्वाद से युक्त पुण्य-नगरी काशी सबको आकर्षित करती रही है और करती रहेगी।
उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले कुल विद्यार्थियों में 78 प्रतिशत संख्या छात्राओं की है। राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में बेटियों के बेहतर प्रदर्शन में विकसित भारत और बेहतर समाज की झलक दिखाई देती है। राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे विश्वास है कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित देश के रूप में स्थापित करने के राष्ट्रीय संकल्प को सिद्ध करने में ‘महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ’ के विद्यार्थियों और आचार्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।