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छत्तीसगढ़ः सास-बहू को परिवार का हिस्सा नहीं मानता रेलवे, जानें क्या है मामला

सरकारी विभागों में कई ऐसे मामले आ जाते हैं जो सुर्खियां बन जाती हैं। रेलवे विभाग से भी जुड़ी खबर सामने आई है, जो भिलाई के स्मृति नगर निवासी संतोष कुमार से जुड़ी है। उनके साथ भारतीय रेलवे ने अजीबोगरीब कानून का हवाला देते हुए उनकी पत्नी एवं मां को एक परिवार का हिस्सा नहीं माना है।

By Rakesh 

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भिलाई। सरकारी विभागों में कई ऐसे मामले आ जाते हैं जो सुर्खियां बन जाती हैं। रेलवे विभाग से भी जुड़ी खबर सामने आई है, जो भिलाई के स्मृति नगर निवासी संतोष कुमार से जुड़ी है। उनके साथ भारतीय रेलवे ने अजीबोगरीब कानून का हवाला देते हुए उनकी पत्नी एवं मां को एक परिवार का हिस्सा नहीं माना है।

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बिल्कुल आप सही सुन रहे हैं कि एक बेटा अपनी पत्नी की टिकट अपनी मां के नाम पर ट्रांसफर करवाना चाहता था लेकिन रेलवे ने सास और बहू को एक परिवार का हिस्सा नहीं माना। यह अजीबोगरीब मामला तब आया जब स्मृति नगर निवासी संतोष कुमार ने अपनी पत्नी व बच्चों के साथ विगत माह सफर पर जा रहे थे लेकिन किसी कारणवश पत्नी का जाना स्थगित हो गया।

ऐसे में वह अपनी पत्नी की टिकट को अपनी मां के नाम पर हस्तांतरित करवाना चाहते थे। इसके लिए वह दुर्ग रिजर्वेशन कार्यालय में जिम्मेदार अधिकारियों से मिले लेकिन रेलवे के अधिकारियों ने नियमों का हवाला देते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया। मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक ने संतोष कुमार को लिखित में जवाब दिया है कि 16 अगस्त 1990 को गजट में प्रकाशित नियमों के अनुसार परिवार के अंतर्गत माता-पिता, भाई-बहन, बेटा-बेटी, पति और पत्नी को ही लिया जाता है।

इसलिए सास-बहू के बीच टिकट हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। इसके बाद संतोष कुमार ने इस जवाब की प्रतिलिपि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रेलमंत्री, रेल मंत्रालय के सचिव और भारतीय रेलवे बोर्ड के प्रमुख अफसर को भेजते हुए आपत्ति जताई है। पीड़ित संतोष कुमार का कहना है कि रेलवे द्वारा सास और बहू को एक परिवार का हिस्सा नहीं मानना गलत है।

क्योंकि सास और बहू एक ही घर में रहते हैं। दोनों का रिश्ता एक ही परिवार की वजह से है। इन्हें एक परिवार का हिस्सा मानना चाहिए। उन्होंने मांग की है कि सास-बहू को भी एक परिवार का हिस्सा माना जाए, जिससे रेलवे की यात्रा करने के दौरान टिकट हस्तांतरण में कोई परेशानी ना आए।

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