विश्व प्रसिद्ध रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने दीवाली पर ओडिशा के पुरी समुद्र तट पर 4045 दीयों की स्थापना के साथ देवी मां काली की एक रेत कला बनाई है। सुदर्शन पटनायक(Sudarsan Pattnaik) अभी तक 60 से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय रेत कलाकृति प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं और बहुत से पुरस्कार जीते. वो समय-समय पर अपनी कला के जरिए लोगों को विभिन्न विषयों पर जागरुक करने की कोशिश भी करते नजर आए हैं.
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Sand Artist Sudarsan Pattnaik: दिवाली में सब लोग अपने अंदाज़ में बधाई देते है पर हर साल सुदर्शन पटनायक कुछ अलग तरीके से बधाई देते है। विश्व प्रसिद्ध sand artist सुदर्शन पटनायक ने दीवाली (Diwali) के शुभ अवसर पर हजारों दीयों की मदद से मां काली की रेत से मूर्ति बनाई है. बेहद खूबसूरत नजर आ रही इस मूर्ति में कुल 4,045 दीयों का इस्तेमाल किया गया है. साथ ही खूबसूरत संदेश देते हुए लिखा गया, ‘आइए इस दीवाली सारी नेगेटिविटी जला दें.’ सुदर्शन ने ओडिशा के पुरी में समुद्र तट ये खूबसूरत कलाकृति बनाई है.
इसमे इन्होने 6 टन रेत और 4045 दीयों का किया इस्तेमाल
बता दें कि, सुदर्शन ने छह टन रेत और 4045 दीयों की स्थापना के साथ मां काली की पांच फीट ऊंची रेत की मूर्ति बनाई है. मूर्ति बनाने में उन्हें करीब पांच घंटे लगे. इस दौरान रेत कला संस्थान के छात्रों ने भी उनकी मदद की. पद्मश्री पुरस्कार से नवाजे जा चुके सुदर्शन पटनायक ने कहा कि इस दीवाली वो भारतीयों से अपील करते हैं कि वो पर्यावरण स्वच्छ रखें और प्रदूषण मुक्त त्योहार मनाएं.
60 से ज्यादा प्रतियोगिताओं में ले चुके भाग
आपको बता दे कि, सुदर्शन पटनायक अभी तक 60 से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय रेत कलाकृति प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं और बहुत से पुरस्कार जीते. वो समय-समय पर अपनी कला के जरिए लोगों को विभिन्न विषयों पर जागरुक करने की कोशिश भी करते नजर आए हैं. उनकी कला को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सराहा है.
पीएम मोदी के जन्मदिन पर भी बनाई थी मूर्ति
इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 72वें जन्मदिन पर पुरी समुद्र तट पर 1,213 मिट्टी के चाय कप से पीएम मोदी की रेत की मूर्ति बनाई. सुदर्शन ने समुद्र तट पर ‘हैप्पी बर्थडे मोदी जी’ संदेश के साथ प्रधानमंत्री की पांच फीट ऊंची रेत की मूर्ति बनाई. उन्होंने इस मूर्ति में करीब पांच टन रेत का इस्तेमाल किया.
उन्होंने हाल ही में ब्रिटेन की सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली महारानी एलिजाबेथ-द्वितीय के निधन पर श्रद्धांजलि देने के लिए 740 असली गुलाबों के साथ एक रेत की मूर्ति बनाई थी.