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अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई से यूपी की सियासत गरमाई, विपक्ष ने सरकार पर उठाए सवाल

लोकसभा चुनाव 2024 में है। लेकिन उत्तरप्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर अभी से हवा बनाई जा रही है। अब राजनीतिक समीकरण जोड़ने-घटाने में पार्टियां लग गई हैं। हर वर्ग को साधने की तैयारी शुरू हो गई है।

By Rakesh 

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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 में है। लेकिन उत्तरप्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर अभी से हवा बनाई जा रही है। अब राजनीतिक समीकरण जोड़ने-घटाने में पार्टियां लग गई हैं। हर वर्ग को साधने की तैयारी शुरू हो गई है। ऐसे में अमरमणि त्रिपाठी का नाम चर्चा में बना हुआ है।

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चर्चित कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। लेकिन 20 साल बाद शुक्रवार को रिहाई हो गई है। रिहाई लोकसभा चुनाव से पहले हुई है इसलिए इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं । अब चर्चाओं का बाजार गर्म है।

अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई और 2024 का चुनाव दोनों का कनेक्शन जोड़कर देखा जा रहा है। अमरमणि और 24 के कनेक्शन पर देखिए INDIA VOICE की ये खास रिपोर्ट….

अमरमणि की रिहाई की खबर यूपी की सियासत में नया पैगाम लेकर आई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की अनुमति मिलने पर कवयित्री मधुमिता हत्याकांड के आरोपी पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई हो गई। अब इस पर जमकर सियासत भी हो रही है। विपक्ष सरकार पर सवाल उठा रही है और सरकार इस पर जवाब दे रही है ।

अपराध की दुनिया से राजनीति तक का सफर किया तय

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यूपी की राजनीति में अमरमणि त्रिपाठी का राजनीतिक कद किसी से छिपा नहीं है। अपराध की दुनिया से राजनीति तक का सफर अमरमणि त्रिपाठी ने तय किया। राजनीति में एंट्री से पहले ही उनपर हत्या, मारपीट, किडनैपिंग जैसे आरोप लग चुक थे। जैसे-जैसे अपराध का ग्राफ बढ़ता गया। अमरमणि के नाम की गूंज लखनऊ तक सुनाई देने लगी।

अलग-अलग पार्टियों का हिस्सा रहे अमरमणि ने कांग्रेस से लेकर बसपा तक में विधायकी का स्वाद चखा । 1996 में नाम का रसूख जैसे-जैसे बढ़ा वह हर पार्टी की जरूरत बनने लगे। भारतीय जनता पार्टी भी ज्वाइन की और मंत्रिमंडल का हिस्सा बने। लेकिन जब एक बड़े कारोबारी के बेटे का अपहरण हुआ तो यह बात दिल्ली तक पहुंची। जिसपर उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया।

हर दल के लिए खास रहें अमरमणि त्रिपाठी

इसके बाद मुलायम सिंह कैबिनेट में भी अमरमणि मंत्री बने और उनकी नजदीकियां कवयित्री मधुमिता शुक्ला से बढ़ने लगी। यहीं से उनके बुरे दिन शुरू हो गए। मधुमिता शुक्ला की गर्भवती हालत में हत्या हो जाती है। बच्चे का डीएनए हुआ तो पता चलता है कि बच्चा अमरमणि का था। आरोपों की पुष्टि होती है और फिर इसके बाद इस मामले में अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि को उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है।बाहुबालियों की रिहाई ने एक सवाल खड़ा कर दिया है कि ये रिहाई लोकसभा चुनाव से पहले ही क्यों हुई ? क्या इसका कोई सियासी कनेक्शन है । ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा- नहीं होनी चाहिए रिहाई

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कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई वाले आदेश पर कहा कि इस क्राइम में शामिल लोगों को जेल से बाहर नहीं आना चाहिए। इससे समाज में गलत संदेश जाएगा। बीजेपी सिर्फ बेटी बचाओ का नारा देती है। असल में ये सब गुनहगार हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। ताकि ऐसी घटनाएं न हों।

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