चुनाव नजदीक है लिहाजा सभी पार्टियां इन दिनों अपनी तैयारियों को फाइनल टच देने में लगी हुई हैं।
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Uttarakhand Assembly Election : चुनाव नजदीक है लिहाजा सभी पार्टियां इन दिनों अपनी तैयारियों को फाइनल टच देने में लगी हुई हैं। उत्तराखंड में 14 फरवरी को चुनाव होना है ऐसे में जनता इंतजार में है कि भाजपा अपना घोषणापत्र कब जारी करती है ? साथ ही भाजपा के घोषणापत्र में क्या नए वायदे किए जाते हैं इस पर भी लगभग सभी की नजर टिकी हुई है।
2 फरवरी तक जारी हो सकता है घोषणा पत्र
बहरहाल जानकारी के मुताबिक भाजपा 2 फरवरी तक अपना घोषणापत्र जारी कर सकती है। भाजपा ने अपने घोषणापत्र को संकल्प पत्र का नाम दिया है। लिहाज़ा बताया जा रहा है कि पार्टी द्वारा जारी किए जाने वाले संकल्प पत्र को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जारी करेंगे। हालांकि संकल्प पत्र में भाजपा किन नए वादों को शामिल करती है यह देखना होगा।
जनता की राय को दिया जाएगा महत्व
क्योंकि भाजपा की ओर से बयान जारी कर यह दावा किया गया था कि विजय संकल्प यात्रा के दौरान भाजपा ने उत्तराखंड वासियों से सुझाव मांगा था कि पार्टी अपने संकल्प पत्र में किन किन बातों को शामिल करें ? सरकार को राज्य के विकास के लिए किस तरह का काम करना चाहिए ? ऐसे में जनता ने अपना सुझाव सरकार तक पहुंचा दिया है। अब जनता के सुझाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा अपना संकल्प पत्र तैयार करने में जुटी हुई है।
बेरोजगारी और महंगाई रहने वाला है अहम मुद्दा
विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती है रोजगार और महंगाई। लिहाज़ा भाजपा अपने संकल्प पत्र में इन दोनों बिंदुओं को अवश्य शामिल करेगी। इसके अलावा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी प्रदेशवासियों से यह वादा किया है कि अगले 5 से 7 वर्षों में उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाना है। ऐसे में पार्टी ने अपना संकल्प पत्र जारी करने से पहले इन तमाम बिंदुओं पर विचार जरूर करेगी।
मिथक तोड़ने में जुटी भाजपा
भाजपा विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। यही कारण है कि भाजपा इन दिनों पूरे दमखम से चुनावी रण में उतर चुकी है। दरअसल उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश को लेकर यह मिथक है कि यहां लगातार 2 बार कोई मुख्यमंत्री नहीं बन सका है। ऐसे में सीएम पुष्कर सिंह धामी और उनकी पूरी टीम इस मिथक को तोड़ने का प्लान कर चुके हैं। आपको बता दें कि उत्तराखंड में हर 5 वर्षों में सरकार बदलने का ट्रेंड पहले से चलता चला आ रहा है। ऐसे में भाजपा इस नियम को तोड़ने में लगी हुई है।