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विश्व थैलेसीमिया दिवसः जानिए कब पड़ती है मनुष्य को खून की जरूरत

By Rajni 

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नई दिल्ली।  ब्लड कैंसर, हीमोफीलिया, थैलेसीमिया ये सभी गंभी बीमारियां हैं। ब्लड कैंसर गंभीर रोग है। मगर ब्लड के डिसऑर्डर के मामले में थैलेसीमिया भी कम गंभीर नहीं होता है। 8 मई को हर साल दुनिया भर में विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्व में इस रोग के प्रति आमजन को जागरूक करने के लिए अभियान चलाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विश्व में लाखों लोग थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। यदि मरीज को 3 महीने, 6 महीने में ब्लड नहीं मिलता है तो मरीज की जान पर बन आती है।

एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाती है यह बीमारी

थैलेसीमिया एक जेनेटिक डिसऑर्डर के तौर पर माना जाता है यानि कि इस बीमारी के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होने का खतरा बहुत अधिक होता है। इस बीमारी में शरीर में हीमोग्लोबिन बनना बंद हो जाता है। हीमोग्लोबिन रेड ब्लड सेल्स में प्रोटीन अणु के रूप में बॉडी में ऑक्सीजन सप्लाई करने का काम करता है। मगर थैलेसीमिया में आरबीसी तेजी से नष्ट होने लगता हैं। इससे मरीज एनिमिक होने लगता है। खून की कमी का कारण केवल थैलेसीमिया ही नहीं है। अन्य वजह से भी ब्लड कम बन सकता है जैसे पोषकतत्वों की कमी, ब्लड लॉस होने पर खून की कमी हो सकती है। महिलाओं में पीरियड्स ब्लड की कमी के बड़े कारण होते हैं। बच्चे भी पोषकतत्व नहीं ले पाते हैं, इसी कारण उनमें भी ब्लड कम हो सकता है। इसके अलावा विटामिन बी12, फोलिक एसिड भी ब्लड कम होने का प्रमुख कारण है।

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