चुनाव नजदीक है और चुनाव से ठीक पहले एक-एक सीट पर इन दिनों राजनीतिक पार्टियों और उनके उम्मीदवारों के बीच एक-एक सीट के लिए माथापच्ची जारी है।
Updated Date
UP Assembly Election : विधानसभा चुनाव में एक-एक सीट के लिए चल रही माथा पच्ची के बीच राजनीतिक दल इतना उलझ गये हैं कि कई जगह अपने प्रत्याशी की घोषणा के बाद भी सीट बदल दिये और अपने ही दल में विरोधी तैयार कर दिया। इसमें सबसे ज्यादा उलझी हुई समाजवादी पार्टी दिख रही है। अभी अयोध्या के रुदौली व बीकापुर सीट पर समाजवादी पार्टी और बसपा के दो-दो प्रत्याशियों ने नामांकन कर दिया।
सपा ने अब तक एक दर्जन प्रत्याशियों को बदला
बाद में दोनों दलों ने सफाई पेश करते हुए अपने-अपने प्रत्याशी घोषित किये। रुदौली में बसपा की ओर से चौधरी शहरयार व सपा से टिकट न मिलने पर बसपा में आये अब्बास अली जैदी ऊर्फ रुश्दी ने पर्चा दाखिल किया। बाद रुश्दी को हाथी की सवारी करायी गयी। वहीं बीकापुर से बलराम मौर्य व हाजी फिरोज ने सपा से नामांकन किया। फिर सपा ने हाजी फिरोज को उम्मीदवार बताया। समाजवादी पार्टी ने तो अब तक एक दर्जन प्रत्याशियों का सूची में नाम आने के बाद बदल दिया है।
सूची में नाम आना उम्मीदवार होने की गारंटी नहीं
अब तो लोग कहने लगे हैं कि प्रत्याशियों की सूची में नाम आना उम्मीदवार होने की गारंटी नहीं है। पार्टी ने अलीगढ़ से सलमान को उम्मीदवार घोषित किया और बाद में जफर आलम को उम्मीदवार बना दिया। वैसे ही सहारनपुर के देवबंद सीट पर कार्तिकेय राणा व माबिया अली के बीच विवाद रहा। अब कार्तिकेय मैदान में हैं। वहीं जालौन की कालपी से श्रीराम पाल पहली सूची में आये फिर कांग्रेस से आये विनोद चतुर्वेदी सपा उम्मीदवार बन गये। वही मांट से सपा के संजय लाठर व रालोद उम्मीदवार योगेश ने पर्चा भर दिया। अब संजय लाठर मैदान में हैं।
कई उम्मीदवारों का कटा टिकट
नरैनी से दद्दू प्रसाद उम्मीदवार घोषित हुए ओर पर्चा भरा जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष किरन वर्मा ने, वहीं किदवई नगर से ममता तिवारी उम्मीदवार घोषित हुए व पर्चा अभिमन्यु गुप्ता ने भरा। वही स्थिति मोहनलालगंज से अंबरीष पुष्कर ने पर्चा भरा और बाद में सुशीला सरोज उम्मीदवार घोषित हो गयीं।
वहीं जगदीशपुर से समाजवादी पार्टी रचना कोरी को टिकट दिया, फिर विमलेश सरोज को दे दिया। इससे नाराज होकर होकर रचना कोरी भाजपा में शामिल हो गयी। समाजवादी पार्टी द्वारा बदले गये सीटों के कारण उसको ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कई जगहों पर नाराज नेता खुलकर विरोध करने लगे हैं, तो कई जगहों पर भीतरघात करने में लगे हुए हैं।