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Jharkhand में राजनीतिक घेराबंदी पर Hemant का हमला [ इंडिया वॉइस विश्लेषण ]

Jharkhand News : झारखण्ड में राजनीतिक षडयंत्र, घात - प्रतिघात और धोखा - विश्वासघात का नंगा नाच । India Voice विश्लेषण ने भविष्यवाणी की थी कि झारखंड में शीघ्र बड़ी गिरफ़्तारिया हो सकती है जो सच निकला । वक़ील और विधायक गिरफ़्तार।

By इंडिया वॉइस 

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Jharkhand Politics Crisis : झारखण्ड से कई ख़बरें आ रही है, एक और भरी मॉनसून में किसानों के खेत सूखे हुए हैं, झारखंड सूखाड़ जैसी प्राकृतिक विपदा की ओर बढ़ रहा है वहीं दूसरी ओर मलाई के खेल के नए नए दाँव पेच से झारखंड का राजनीतिक तापमान लूँ का शक्ल ले चुका है। इस राजनीतिक लूँ ने कइयों को झुलसा दिया है तथा कई बड़े राजनीतिक योद्धा को अपने दरवाज़े के अंदर ही बंद रहने के लिए विवश कर दिया है। रोचक बात यह है कि बंद दरवाज़े के अंदर ही राजनीति के शतरंज पर शह मात का खेल जारी है, घात-प्रतिघात अपने क्रूरतम रूप में सामने है तथा लक़वा ग्रस्थ नौकरशाही ने झारखंड को आर्थिक विकास के मोर्चे पर विराम की स्थिति में लाके ख़ड़ा कर दिया है।

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Jharkhand Congress के कैश कांड जिसमें तीन विधायक कुछ नक़दी राशि के साथ कोलकाता में गिरफ़्तार कर लिए गए हैं । झारखंड हाईकोर्ट के जनहित याचिका विशेषज्ञ अधिवक्ता Rajeev Kumar 50 लाख रुपया के साथ बलैकमेंलिंग के आरोप में कोलकाता के एक मॉल से गिरफ़्तार किये गये हैं। मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार Abhishek Prasad उर्फ़ पिंटू अपनी वयस्थता को कारण बताते हुए प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा जारी समन के जवाब में हाज़िर होने से इंकार करते हुए ई॰डी॰ से समय की माँग की थी और आज लगभग ११ बजे राँची स्थित प्रवर्तन निदेशालय के दफ़्तर पहुँचे है। झारखंड मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि Pankaj Mishra गंभीर बीमारी की अवस्था में रिम्स में भरती हैं तथा चिकित्सकों के दल ने उन्हें मानसिक रूप से परेशान बताते हुए मनोरोगी से परामर्श की सलाह दी है। कोंग्रेस के विधायक Kumar Jaimangal उर्फ़ Anup Singh ने कोंग्रेस के तीन गिरफ़्तार विधायकों पर, उन्हें सरकार गिराने के लिए प्रलोभन देने का आरोप लगाते हुए, उनके विरुद्ध राँची में एक zero प्राथमिकी दर्ज कराई है। इसके जवाब में Irfan Ansari के निजी सचिव ने भी Anup Singh के ख़िलाफ़ यह कहते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है की अनूप सिंह ही सरकार गिराने के षड्यंत्र के सरगना है और उनके विरुद्ध क़ानूनी कार्रवाई की जाए। झारखंड के पूर्व सांसद Furqan Ansari ने साफ़ साफ़ कहा है कि Anup Singh को सारी बातों की जानकारी है, वे आसाम के मुख्यमंत्री से मिले हैं और वही बता सकते हैं कि किसने किसको कितने पैसे दिये या लिये हैं। आश्चर्यजनक रूप से झारखंड के विधायक Saryu Roy के द्वारा ललकारे जाने के बाद भी झारखंड के बेहद समझदार मुख्यमंत्री इस पूरे घटनाक्रम पे मौन है।

India Voice विश्लेषण ने अपने दिनांक 26 जुलाई के आलेख में यह संकेत दिया था कि Jharkhand में राजनीतिक महाभारत अब रोचक दौर में पहुँच चुका है इस आलेख में India Voice ने यह भी आशंका व्यक्त की थी कि निकट भविष्य में कुछ बड़ी गिरफ्तारियां हो सकती है। घटनाक्रम उसी तरह आगे बढ़ रहा है। झारखंड सरकार को गिराने का खेल और उसके महान खिलाड़ियों का नाम अब सार्वजनिक हो चुका है। अब झारखंड के राजनीतिक महाभारत का दोनों पक्ष मामूली आवरण के साथ खुलकर आमने सामने हैं। इंडिया वाँयस विश्लेषण ने पिछले आलेख में यह भी बताया था कि झारखंड के मुख्यमंत्री Hemant Soren अपने विरोधियों द्वारा बिछाए गए राजनीतिक चक्रव्यूह को भेदने के लिए एक चतुर राजनेता के रूप में अभिमन्यु की तरह संघर्ष कर रहे हैं। हाल के घटनाक्रम ने यह साबित किया है कि अदालत से लेकर राजनीतिक बग़ावत तक के मोर्चे पर उनके प्रबंधकों ने बेहद सफल चालें चली है और विरोधियों की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए यह संकेत दिया है कि हेमंत के इस राजनीतिक पारी का अंत उतना आसान नहीं है जितना देश के सुरमा समझ रहे हैं।

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कल माननीय सर्वोच्च न्यायालय में Hemant Soren एवं उनके शेल कम्पनियों के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई होनी है, स्पष्ट है कि कल उच्चतम न्यायालय में हेमंत सोरेन के अधिवक्ता, Rajeev Kumar की गिरफ़्तारी के मामले को उठाएंगे और इस बात पे ज़ोर देंगे कि वो शुरू से यह कहते रहे हैं कि यह जनहित याचिका नहीं बल्कि बलैकमेंलिंग एवं लूट याचिका है। अतः इस याचिका को ख़ारिज कर दिया जाए। Rajeev Kumar के विरुद्ध कोलकाता में जो प्राथमिकी दर्ज कराई गई है उसमें उनपे यह आरोप लगाया गया है कि वे न्यायाधीशों, कोर्ट रेजिस्ट्रार एवं आयकर विभाग जैसे सरकारी विभागों के अफ़सरों को भी मैनेज करने का दावा करते हैं। स्पष्ट है कि सर्वोच्च न्यायालय राजीव कुमार के इस दावे का भी संज्ञान अवश्य लेगा और यही बात राजीव कुमार गिरफ़्तारी प्रकरण को बेहद गंभीर मामला बनाता है।
कल सर्वोच्च न्यायालय में तीन परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती है।
पहला यह हो सकता है कि सर्वोच्च न्यायालय झारखंड हाईकोर्ट को इस जनहित याचिका पर अपनी सुनवाई जारी रखते हुए Rajeev Kumar प्रकरण को भी इसमें शामिल करने का निर्देश दे।                        दूसरी बात यह हो सकती है कि सर्वोच्च न्यायालय Rajeev Kumar गिरफ़्तारी प्रकरण में कोई विशेष आदेश दे।
तीसरी बात यह हो सकती है, सर्वोच्च न्यायालय इस जनहित याचिका को ही Jharkhand High Court से उच्चतम न्यायालय स्थानांतरित करते हुए ख़ुद उस पर सुनवाई शुरू करे तथा राजीव कुमार के विरुद्ध दर्ज प्राथमिकी में वर्णित आरोपों के आलोक में किसी केंद्रीय एजेन्सी से जाँच का बड़ा आदेश दें। इसकी संभावना इसलिए भी है क्योंकि अब यह मामला सिर्फ़ झारखंड ही नहीं बल्कि बेंगॉल से भी जुड़ जाने के कारण एक से अधिक राज्यों के बीच का मामला बन जाता है और इसके कारण केंद्रीय एजेन्सी से जाँच कराने का एक मज़बूत आधार है।

राजनीतिक मोर्चे पर घमासान अब घृणित और रोचक दोनों हो चुका है। झारखंड के राजनेताओं ने राज्य के सवा तीन करोड़ जनता को फिर से देश के सामने शर्मसार किया है। षडयंत्र, घात-प्रतिघात, झूट-सच, धोका-विश्वासघात जैसे सियासती दरबार की सभी प्रवृत्तियों का नंगा नाच झारखंड में अपनी प्रकाशठा पर है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जिन्हें बचपन से चाचा कहते रहे हैं, कांग्रेस के उस बेहद वरीय राजनेता पर दिल्ली के किसी एक होटल में विरोधी खेमें के कुछ महत्वपूर्ण लोगों से मिलने का आरोप लगा है। हेमंत सोरेन के पारिवारिक मित्र के रूप में जाने जाने वाले तथा हेमंत सोरेन के हर निजी पारिवारिक यात्राओं पर उनके साथ रहने वाले कुमार जैमंगल उर्फ़ अनूप सिंह पर सरकार गिराने के खेल का सरगना होने का आरोप लग रहा है। मुख्यमंत्री के लगभग सभी क़रीबी लोगों पर ई॰डी॰ का शिकंजा कसता जा रहा है। हेमंत सोरेन के कई नज़दीकी मित्र विरोधी खेमों में सक्रिय दिख रहे हैं। राज्य भाजपा के कुछ बड़े नेताओं पर भी हेमंत सरकार को बचाने के लिए सक्रिय होने के आरोप दबी ज़ुबान से लगा रहा हैं। राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि इन तमाम चीज़ों ने परिस्थिति को बेहद जटिल तो ज़रूर बना दिया है, इन्सानी रिश्ते तो शर्मसार ज़रूर हुए हैं, दोनों ही खेमों में भरोसे के बाँध भी टूटे हैं लेकिन राजनीतिक खेल अपने मुक़ाम की ओर मज़बूती से बढ़ रहा है।

Hemant Soren के लिए आने वाले 15 दिन बेहद चुनौतीपूर्ण है। उन्हें इसी सतर्कता और हिम्मत के साथ विरोधी खेमे के चतुर चालों का जवाब देना पड़ेगा। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के बाग़ी विधायकों के साथ अब अस्तित्व का संकट है।वे अगर अभी भी छिपे रहते हैं तो वर्तमान जगह में मर्यादा खोकर जीवित रहेंगे और अगर हिम्मत करते हुए खुलकर बग़ावत का बिगुल फूँकेंगे तो वे झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य को बदल भी सकते हैं तथा इस बदली हुई परिदृश्य में हालिया घटनाक्रमों के कारण अपने खोए हुए प्रतिष्ठा को भी पुनः वापिस पा सकते हैं तथा बेहतर राजनीतिक हैसियत भी बना सकते हैं। India Voice विश्लेषण के पिछले आलेख में हमने यह लिखा था कि दोनों ही पक्षों को अपने विभीषणो पर पैनी नज़र रखनी होगी। यह बात अब ज़्यादा प्रासंगिक हो गई है। झामुमो में अभी बग़ावत की बात चर्चा में नहीं है लेकिन जानकार जानते हैं कि सफल युद्ध रणनीतिकार सेना कहीं और सजाते हैं और हमला कहीं और करते है। हेमंत सोरेन को भी इस रणनीति को अपने ध्यान में रखना होगा।

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