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झारखंड की सैर [ इंडिया वायस विश्लेषण ]

Jharkhand Politics: हिम्मती हेमंत, अय्याश नौकरशाह, जख्मी व्यवस्था, बेजुबान जनता 

By इंडिया वॉइस 

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Jharkhand Political Crisis: झारखंड फिर से अपने खानदानी धंधों के लिए चर्चा में है। देश की तमाम जांच एजेंसियां सीबीआई, आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अभी झारखंड की सैर पर है, निशाने पर हेमंत की हिम्मत, नौकरशाहों की अय्याशी और दलालों की दिवाली है। गत 20 दिनों से राज्य की शासन व्यवस्था ठप है। नए-नए खुलासों से जनता हतप्रभ और स्तब्ध है। मनरेगा घोटले में खान विभाग सचिव के घर ईडी के छापे से शुरू हुई छापेमारी की इस महाजल में हर रोज नए किरदार फंस रहे हैं। नए-नए किरदरों के फंसने के साथ ही नए-नए तथ्य भी सामने आ रहे हैं। मामला सिर्फ काली कमाई का ही नहीं बल्कि नौकरशाहों के अय्याश जीवन का भी है। ऐसा लगता है मानों ये सभी जनता के सेवक नहीं बल्कि बिगड़ैल राजकुमार है। झारखंड के सांसद निशिकांत दुबे ने सूत्रों के हवाले से ट्विटर पर ट्वीट किया है कि हाल के छापों में जब्त मोबाइल से जो तस्वीरें और चैट प्राप्त हुए हैं वो सभी यदि बाहर आ जाए तो कई नौकरशाहों को मुंह ढकने पड़ेंगे।

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केन्द्रीय जांच एजेंसी हमलावर है। ईडी के प्रारंभिक छापों में मिली नकदी के बाद होने वाले लगातार छापों में किसी बड़ी जब्ती के बारे में समाचार सामने नहीं आए हैं और यदि जांच एजेंसी को अगर कुछ मिला भी है तो वो सार्वजनिक नहीं किया गया है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने बिखरते एवं फंसते कुन्बे के बीच एक योद्धा की तरह खड़े हैं। लगातार सरकारी योजना का निरीक्षण कर खुद के अविचलित होने का संदेश जनता को दे रहे हैं तथा अपने राजनीतिक और प्रशासनिक सिपाहियों को ये संदेश देने का असफल प्रयास कर रहे हैं कि उनके राजनीतिक जीवन तथा उनके सरकार पर हो रहे इन हमलों से परेशान होने की जरूरत नहीं है। लेकिन जानकर बताते हैं कि हेमंत की ये हिम्मत और आत्मविश्‍वास घटनाओं के वास्‍तविक आंकलन पर आधारित नहीं है और हर बीतते दिन के साथ उनकी मुश्किलें गहराती जा रही है। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजीव अरुण एक्का के बेहद करीबी बिचौलिये एवं नजदीकी  रिश्तेदार के यहां हाल में हुए ईडी के छापो में ईडी को क्या मिला है ये तो स्पष्ट नहीं है, लेकिन ईडी का लक्ष्य क्या है ये बिल्कुल साफ हो गया है।

केंद्रीय जांच एजेंसी झारखंड में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों पर गंभीर प्रहार कर रही है और शायद देश के इतिहास में पहली बार बड़े नौकरशाहों के एक बड़े समूह के भ्रष्ट आचरण एवं अय्याश जीवन शैली को बेनकाब करने के बेहद करीब है। सत्ता के दो बड़े बिचौलिये श्री विशाल चौधरी एवं प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव के ईडी के कब्जे में आने के बाद यह चर्चा जोरों पर है कि ईडी शीघ्र ही सत्ता शीर्ष से जुड़े दो वरिय पदाधिकारियों को पूछताछ के लिए बुला सकती है। 20 दिन के लंबे ऑपरेशन के बाद झारखंड में अपनी गतिविधियों को सही साबित करने की चुनौती भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने है। अब उसकी साख भी दांव पर है। अत: वह फूंक-फूंककर कदम आगे बढ़ा रही है। यदि ईडी अपनी इन गतिविधियों को एक सार्थक मुकाम तक पहुंचाने में असफल रही तो काली कमाई के खेल में शामिल नौकरशाहों एवं बिचौलियों का मनोबल बढ़ेगा तथा हेमंत सोरेन इस पूरी करवाई को केंद्र सरकार द्वारा दुर्भावना से किये राजनीतिक कार्रवाई साबित करते हुए आम जनता में अपनी छवि निखारने तथा  अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करने में सफल रहेंगे। स्पष्ट है कि हेमंत सोरेन और ईडी के बीच चल रहे इस युद्ध के अंत परिणामों में सबकी नज़र है।

इस पूरे घटनाक्रम की परिणति चाहे जो भी हो इसने झारखंड के नौकरशाही को पूरी तहर से बेनकाब कर दिया है। यह बात अब जनमानस में बैठ गई है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे नौकरशाह राज्य को निर्ममता पूर्वक लूट रहे हैं। इस लूट की कमाई को राज्य एवं इसके बाहर अस्पताल, 5 सितारा होटल, शॉपिंग मॉल, मेडिकल कॉलेज इत्यादि बनाने में निवेश कर रहे हैं। इनके धनोपार्जन क्षमता एवं निवेश कुशलता के सामने देश के बड़े-बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान भी खुद को बौना समझने लगे हैं। जहां तक इनकी अय्याश जीवन की बात है झारखंड के दैनिक अखबार ऐसी खबरों से भरे पड़े हैं जिसमें कहा गया है कि सत्ता के बिचौलिए इन नौकरशाहों के लिए ऐसी रंगीन पार्टियां आयोजित करते हैं जिसमें सिर्फ विदेशी शराब ही नहीं बल्कि विदेशी महिलाएं भी लाई जा रही हैं। कुकर्म तो नौकरीशाहों और राजनेताओं ने किया है लेकिन देश में शर्मिंदगी राज्य की सवा तीन करोड़ जनता को झेलनी पड़ी है।

व्यवस्था के सड़ांध पर क्या कहना सूत्र बताते हैं कि राज्य की नौकरशाही दो खेमे में बंट गई है। एक खेमे में केके सोन, आराधना पटनायक, हिमानी पांडे, अमिताभ कौशल, वंदना डांडेल, अबू बकर सिद्दीकी जैसे ईमानदार छवि के आईएएस अधिकारी हैं, तो दूसरी ओर सांसद निशिकांत दूबे की भाषा में गैंग ऑफ वासेपुर के तर्ज पर “झारखंड गैंग” के वो नौकरशाह है जिनके बारे में सांकेतिक रूप से ही सही नई-नई खबरें हर रोज सामने आ रही है। इनके पास बिचौलियों की भी बड़ी फौज है जो इस विकट परिस्थिति में प्रबंधन की जिम्मेदारी लिये हुए है और इन धनपशु नौकरशाहों की हौसला अफजई भी कर रहे हैं।

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विशाल चौधरी एवं प्रेम प्रकाश के गिरफ्त में आने के बाद से कई वरिय पुलिस पदाधिकारियों के चेहरे पर से हवाइयां उड़ रही है। कहा जाता है कि ये पुलिस अधिकारी प्रेम प्रकाश के माध्यम से ही अपने निर्धारित मासिक राशि दरबार तक पहुंचाते थे। विशाल चौधरी के यहां से तो कई वरिय पुलिस पदाधिकारी के सेवा इतिहास का ब्यौरा तक मिला है। लोग आश्चर्यचकित होकर पूछते हैं कि आखिर इस बिचौलिये के घर में पुलिस पदाधिकारियों से संबंधित इतना ब्यौरा होने का क्या कारण है। जानकर इसे मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव एवं राज्य के गृह सचिव से जोड़कर देख रहे हैं।


-प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव                                    – विशाल चौधरी

हेमंत सोरेन लगातार ईडी के खिलाफ तल्ख टिप्पणियां कर रहे हैं। वो इसे गिदड़ भभकी, संदिग्ध और सरकार को ठप करने वाली कार्रवाई बता रहे हैं। जानकार बताते हैं कि ईडी के खिलाफ हेमंत सोरेन की यह टिप्पणियां हेमंत सोरेन को ही कठघरे में खड़ा कर रही है। लोग पूछते हैं और समझना भी चाहते हैं कि भ्रष्ट अफसरों और सत्ता के दलालों के विरुद्ध हो रही कार्रवाइयों और नए-नए खुलासों को वह अपने विरूद्ध कार्रवाई मानकर आखिर ईडी के खिलाफ इतनी कठोर टिपण्णियां क्यों कर रहे हैं। राजनीतिक प्रेक्षक इसे हेमंत सोरेन की अनुभवहीनता भी मान रहे हैं।

इस विकराल राजनीतिक एवं प्रशासनिक हालात में प्रखंड से लेकर सचिवालय तक शमशान सा सन्नाटा छाया हुआ है। लोग खुलकर नहीं दबी जुबान से बात कर रहे हैं कि सारा काम ठप है लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन परिस्थिति को सामान्य करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। मुख्य सचिव के साथ सड़कों पर निकल रहे हैं, शिक्षा विभाग से लेकर कृषि विभाग तक की योजनाओं का निरीक्षण कर रहे हैं, लगातार पत्रकारों से बात भी कर रहे हैं, सब कुछ सामान्य है और सरकार अपना काम कर रही है, का अहसास सबको कराने का हास्यास्पद प्रयास कर रहे हैं। उनका मनोबल एवं आत्मविश्वास काबिले तारीफ है।

इस पूरी प्रक्रिया में जनता निराश एवं हतप्रभ है। सरकार समर्थित खेमा जेएमएम की अगुवाई में समर्थन में सड़कों पर उतर रही है। सरकार विरोधी खेमा भाजपा के नेतृत्व में सरकार का पुतला दहन कर रही है तथा शव यात्रा निकाल रही है। राजनीतिक दलों के इस महासमर में राज्य की गरीब जनता पेंशन, मुफ्त राशन, पेयजल, गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ एवं शिक्षा जैसे मौलिक सुविधाओं के लिए तड़प रही है। केंद्रीय जांच एंजेसिंयों का वार तथा इन गरीबों की आह के बीच से हेमंत सोरेन कैसे सुरक्षित निकल पाते हैं यह देखना बेहद रोचक होगा।

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