राज्य पुनर्गठन अधिनियम के मुताबिक विधानसभा की 7 सीटें बढ़ाई गई हैं। इससे विधानसभा में सदस्यों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई हैं। केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले विधानसभा में सीटों की संख्या 87 थीं, जिसमें 4 सीटें लद्दाख की थीं।
जम्मू, 5 मई। जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग ने केंद्रशासित प्रदेश में परिसीमन के लिए तैयार अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी है। परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में 7 विधानसभा सीटें बढ़ाई गई हैं। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में अनुसूचित जनजातियों के लिए 9 और अनुसूचित जातियों के लिए 7 सीटें भी आरक्षित की हैं।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा की कुल सीटें 90 हुई
दरअसल जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग का कार्यकाल शुक्रवार को समाप्त हो रहा है। इससे एक दिन पहले परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन की अंतिम रिपोर्ट को जारी कर दी है। रिपोर्ट जारी होने के साथ ही केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराए जाने का रास्ता भी साफ हो गया है। परिसीमन आयोग ने केन्द्रशासित राज्य में 7 विधानसभा सीट की बढ़ोतरी की है। इन सीटों में जम्मू संभाग में 6, जबकि कश्मीर संभाग में 01 सीट शामिल हैं। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में अनुसूचित जनजातियों के लिए 9 और अनुसूचित जातियों के 7 सीटें आरक्षित की हैं। इसके अलावा कुछ विधानसभा सीटों पर कश्मीरी पंडितों और गुलाम कश्मीर रिफ्यूजियों को भी प्रतिनिधित्व मिल सकता है। अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा की कुल सीटें 90 हो गई हैं। इनमें कश्मीर संभाग में 47, जम्मू संभाग में 43 सीटें शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर की लोकसभा सीटों में भी फेरबदल
जम्मू-कश्मीर की लोकसभा सीटों में भी परिसीमन आयोग ने फेरबदल किया है। अब कश्मीर और जम्मू दोनों संभागों के हिस्से ढाई-ढाई लोकसभा सीटें होंगी। पहले जम्मू संभाग में उधमपुर डोडा और जम्मू-कश्मीर में बारामुला, अनंतनाग और श्रीनगर की सीटें थीं। नई व्यवस्था के तहत अनंतनाग सीट को अब अनंतनाग-राजोरी पुंछ के नाम से जाना जाएगा यानी जम्मू सीट से दो जिले राजोरी और पुंछ निकालकर अनंतनाग में शामिल किए गए हैं। प्रत्येक लोकसभा सीट में 18 विधानसभा सीटें होंगी। उधमपुर सीट से रियासी जिले को निकालकर जम्मू में जोड़ा गया है।
विधानसभा में सदस्यों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हुई
राज्य पुनर्गठन अधिनियम के मुताबिक विधानसभा की 7 सीटें बढ़ाई गई हैं। इससे विधानसभा में सदस्यों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई हैं। केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले विधानसभा में सीटों की संख्या 87 थीं, जिसमें 4 सीटें लद्दाख की थीं। लद्दाख के अलग होने से 83 सीटें रह गईं थी जो अब बढ़ने के बाद 90 हो गई हैं।
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जाने का रास्ता साफ
बतादें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन करवाने के इरादे से केंद्र सरकार ने आयोग का गठन मार्च 2020 में किया था। कोरोना महामारी के कारण आयोग अपना काम समय पर पूरा नहीं कर पाया, जिसकी वजह से इसका कार्यकाल दो बार बढ़ाया गया। अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान आयोग के सदस्यों ने जम्मू कश्मीर का दो बार दौरा भी किया था। अपने इस दौरे के दौरान आयोग की टीम ने राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक संगठनों के अलावा आम लोगों के सुझाव भी लिए थे, जिससे उन्हें अपनी रिपोर्ट बनाने में सहायता मिली। रिपोर्ट जारी होने के साथ ही अब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जाने का मार्ग भी प्रशस्त हो गया है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार परिसीमन 1995 में हुआ था। उस समय जम्मू-कश्मीर में 12 जिले और 58 तहसीलें हुआ करती थीं। वर्तमान में प्रदेश में 20 जिले हैं। पिछला परिसीमन 1981 की जनगणना के आधार पर हुआ था और इस बार परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर हुआ है।