मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण व नए शहर प्रोत्साहन योजना के तहत गोरखपुर सहित प्रदेश के सात शहरों में नई टाउनशिप बसाने का रास्ता जल्द ही साफ हो जाएगा।
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लखनऊ। मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण व नए शहर प्रोत्साहन योजना के तहत गोरखपुर सहित प्रदेश के सात शहरों में नई टाउनशिप बसाने का रास्ता जल्द ही साफ हो जाएगा। इन शहरों के प्राधिकरणों को भूमि अधिग्रहण के लिए 1,000 करोड़ देने पर सहमति बन गई है। इससे संबंधित प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी मिल जाएगी।
इसलिए सरकार लेकर आई यह योजना
विकास प्राधिकरण तथा आवास एवं विकास परिषद भूमि अर्जन की लागत में वृद्धि के कारण नई आवासीय योजनाओं के लिए जमीन की खरीद नहीं कर पा रही है। भूमि अर्जन की पूरी लागत आवासीय योजना पर डालने से भूखंडों की कीमत बहुत बढ़ जा रही है, जिससे इनके बिकने की संभावना समाप्त हो जा रही है। ऐसी योजनाएं अलाभकारी हो जाती हैं। इसी समस्या के समाधान के लिए सरकार यह योजना लेकर आई है।
प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण व नए शहर प्रोत्साहन योजना को गत दिनों मंजूरी दी थी। इसमें नई टाउनशिप के विकास या पूर्व विकसित टाउनशिप के विस्तारीकरण के लिए आने वाले खर्च का 50 प्रतिशत तक सीड कैपिटल के रूप में 20 वर्ष की अवधि के लिए उपलब्ध कराने की व्यवस्था है।
बाकी राशि संबंधित आवास विकास परिषद, विकास प्राधिकरण, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण स्वयं वहन करेंगे। योजना के अंतर्गत प्रदेश के नौ प्राधिकरणों- गोरखपुर, मेरठ, बरेली, झांसी, बुलंदशहर चित्रकूट, अलीगढ़, आगरा और कानपुर ने आवेदन किया था।
मानक पर नहीं उतरे मेरठ व कानपुर के प्रस्ताव
शासन के आवास विभाग की स्वीकृति एवं निगरानी समिति ने इनमें से मेरठ व कानपुर को छोड़ते हुए बाकी सात प्राधिकरणों को राशि आवंटित किए जाने की संस्तुति कर दी है। इन दोनों शहरों के प्रस्ताव कसौटी पर खरे नहीं उतरे। कैबिनेट की मंजूरी के बाद राशि संबंधित प्राधिकरणों को जारी कर दी जाएगी। इसके बाद नई टाउनशिप के विकास की योजना आगे बढ़ सकेगी।
नए शहरों के समग्र विकास के लिए वित्त वर्ष 2022-23 के अनुपूरक बजट में 4000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी। इसमें गोरखपुर को 3000 करोड़, चित्रकूट को 11 करोड़, अलीगढ़, आगरा व कानपुर को 200-200 करोड़, बुलंदशहर, बरेली व घंसी को 100-100 करोड़ तथा मेरठ को 89 करोड़ रुपये दिए जाने का प्रस्ताव था।
मगर वित्त वर्ष 2023-24 में इन नौ प्राधिकरणों को सिर्फ 1000 करोड़ रुपये जारी करने पर सहमति बनी। जब इन नौ प्राधिकरणों के प्रस्तावों का परीक्षण हुआ तो सिर्फ सात के प्रस्ताव ही कसौटी पर उतरे। 1000 करोड़ रुपये में इनकी हिस्सेदारी तय कर दी गई है।