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‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने कहा आप अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल में लगाए देश का तिरंगा

आज मन की बात के कार्यक्रम में पीएम मोदी ने देश में लगने वाले मेलों का जिक्र करते हुए कहा कि ये हमें सांस्कृतिक महत्व को समझाते हैं। इसके साथ ही पीएम ने हर घर तिरंगा अभियान के बारे में भी जानकारी दी।

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

नई दिल्ली, 31 जुलाई 2022। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में सभी देशवासियों को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने हर घर तिरंगा कार्यक्रम के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि अमृत महोत्सव के तहत 13 से 15 अगस्त से हर घर तिरंगा का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने अपील की कि अपने घर पर तिरंगा जरूर फहराएं। तिरंगा हमें जोड़ता है और देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करता है। इसी तरह 2 से 15 अगस्त तक सोशल मीडिया प्रोफाइल पर तिरंगा लगा सकते हैं। इसके अलावा मन की बात के 91वें ऐपिसोड में पीएम ने देशभर में लगने वाले मेलों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमारे देश में मेलों का सांस्कृतिक महत्व रहा है। मेले जन और मन दोनों को जोड़ते हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में वर्षा के बाद जब खरीफ की फसलें पकती हैं, तब सितंबर में शिमला, मंडी, कुल्लू और सोलन में सैरी (मेला) या सैर (मेला) भी मनाया जाता है। सितंबर में ही जागरा भी आने वाला है। जागरा के मेलों में महासू देवता का आह्वान करके बीसू गीत गाए जाते हैं। महासू देवता का ये जागर हिमाचल में शिमला, किन्नौर और सिरमौर के साथ-साथ उत्तराखंड में भी होता है।

मोदी ने कहा कि उन्हें हिमाचल प्रदेश से ‘मन की बात’ के एक श्रोता आशीष बहल का एक पत्र मिला है। उन्होंने अपने पत्र में चंबा के ‘मिंजर मेले’ का जिक्र किया है। मिंजर मक्के के फूलों को कहते हैं। जब मक्के में मिंजर आते हैं तो मिंजर मेला भी मनाया जाता है। इस मेले में देशभर के पर्यटक दूर-दूर से हिस्सा लेने के लिए आते हैं। संयोग से मिंजर मेला इस समय चल भी रहा है। आप अगर हिमाचल घूमने गए हुए हैं तो इस मेले को देखने चंबा जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि तेलंगाना के मेडारम का चार दिवसीय समक्का-सरलम्मा जातरा मेला देखने लायक है। इस मेले को तेलंगाना का महाकुम्भ कहा जाता है। यह मेला दो आदिवासी महिला नायिकाओं- समक्का और सरलम्मा के सम्मान में मनाया जाता है। ये तेलंगाना ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश के कोया आदिवासी समुदाय के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आंध्रप्रदेश में मारीदम्मा का मेला भी आदिवासी समाज की मान्यताओं से जुड़ा बड़ा मेला है। मारीदम्मा मेला ज्येष्ठ अमावस्या से आषाढ़ अमावस्या तक चलता है। यहां का आदिवासी समाज इसे शक्ति उपासना के साथ जोड़ता है। यहीं, पूर्वी गोदावरी के पेद्धापुरम में मरिदम्मा मंदिर भी है। इसी तरह राजस्थान में गरासिया जनजाति के लोग वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को ‘सियावा का मेला’ या ‘मनखां रो मेला’ का आयोजन करते हैं।

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