राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। इसी को देखते हुए 16वें राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा। वहीं 21 जुलाई को इसके नतीजे आएंगे।
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नई दिल्ली, 09 जून। देश के 16वें राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा और 21 जुलाई को नतीजे आएंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय के साथ विज्ञान भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रपति के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। इसी को देखते हुए 16वें राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा। वहीं 21 जुलाई को इसके नतीजे आएंगे। आपको बतादें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2017 में राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। वो देश के 15वें महामहिम हैं।
राष्ट्रपति पद के लिए दिल्ली में ही नामांकन
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि देश के 776 सांसद और 4033 विधायक राष्ट्रपति पद के लिए मतदान कर सकते हैं। इन्हें पार्टियां किसी उम्मीदवार को वोट करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती। वोट प्राथमिकता के आधार पर होगा। राष्ट्रपति पद के लिए केवल दिल्ली में ही नामांकन होगा। वहीं मतदान संसद और राज्य विधानसभाओं में होगा।
कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव?
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम के जरिए होता है, जिसमें सांसद और विधायक वोटिंग करते हैं। चुनाव आयोग की देखरेख में ये पूरी प्रक्रिया होती है।
अब सवाल कि क्या होता है इलेक्टोरल कॉलेज?- ये ऊपरी और निचले सदन के चुने हुए सदस्यों से मिलकर बनता है। साथ ही इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा के चुने हुए सदस्य भी शामिल होते हैं। आंकड़ों के लिहाज से बात करें, तो इस चुनाव में कुल 4 हजार 896 मतदाता होंगे। इनमें 543 लोकसभा और 233 राज्यसभा सांसद, सभी राज्यों के 4 हजार 120 विधायक शामिल हैं।
एक वोट की कीमत यहां ज्यादा होती है :
सांसदों और विधायकों की तरफ से डाले जाने वाले मतदान की कीमत एक से ज्यादा होती है। एक ओर जहां लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के वोट की कीमत 708 होती है। वहीं विधायक के वोट की कीमत राज्यों में जनसंख्या की गणना जैसी बातों पर निर्भर करती है। एक विधायक के वोट की गणना के लिए राज्य की जनसंख्या का विधानसभा में विधायकों की संख्या से भाग किया जाता है। इस नतीजे का भाग आगे 1000 हजार से किया जाता है। राज्यों के हिसाब से देखें तो उत्तर प्रदेश के एक विधायक के मतदान की कीमत सबसे ज्यादा 208 है। जबकि अरुणाचल प्रदेश में ये आंकड़ा 8 पर है।
कुल आंकड़ों पर नजर
वहीं इस लिहाज से राज्यसभा और लोकसभा सांसदों को मतों की कीमत 5 लाख 59 हजार 408 है। जबकि विधायकों के मामले में ये संख्या 5 लाख 49 हजार 495 पर है। ऐसे में इलेक्टोरल कॉलेज का आंकड़ा 10 लाख 98 हजार 903 पर पहुंच सकता है।
उधर चुनाव आयोग के मुताबिक प्रत्येक विधानसभा सदस्य के मत का मूल्य इस तरह है। आंध्र प्रदेश 159, अरुणाचल प्रदेश 8, हरियाणा 112, हिमाचल प्रदेश 51, झारखंड 176, कर्नाटक 131, असम 116, बिहार 173, छत्तीसगढ़ 129, गोवा 20, गुजरात 147, मध्य प्रदेश 131, केरल 152, महाराष्ट्र 175, मणिपुर 18, पंजाब 116, राजस्थान 129, सिक्किम 7, मेघालय 17, मिजोरम 8, नागालैंड 9, ओडिशा 149, तमिलनाडु 176, तेलंगाना 132, त्रिपुरा 26 उत्तराखंड 64, दिल्ली 58, उत्तर प्रदेश 208, पश्चिम बंगाल 151 और पुडुचेरी 16 है।
कैसे होती है राष्ट्रपति पद के लिए जीत?
राष्ट्रपति चुनाव में केवल बहुमत के आधार पर ही उम्मीदवार विजयी नहीं होता, बल्कि उन्हें वोट का खास कोटा हासिल करना पड़ता है। गणना के वक्त आयोग सभी इलेक्टोरल कॉलेज की तरफ से पेपर बैलट के जरिए डाले गए सभी वैध वोटों की गिनती करता है। उम्मीदवार को डाले गए कुल वोट का 50 फीसदी और एक अतिरिक्त वोट हासिल करना पड़ता है।
आम चुनाव से कैसे अलग है गणना ?
आम चुनाव में मतदाता एक पार्टी के उम्मीदवार को वोट देते हैं। तो वहीं इलेक्टोरल कॉलेज में वोटर बैलेट पेपर पर पसंद के क्रम में उम्मीदवारों का नाम लिखते हैं।
कौन लड़ सकता है राष्ट्रपति चुनाव?
राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक होना चाहिए। उसकी उम्र 35 साल से ज्यादा होनी चाहिए। चुनाव लड़ने वाले की लोकसभा का सदस्य होने की पात्रता होनी चाहिए।