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UP Election 2022 : सुशासन बनाम अराजकता के बीच सिमटता जा रहा है विधानसभा चुनाव

अब सरकार किसकी बनेगी, यह तो 10 मार्च को ही पता चल पाएगा लेकिन इतना जरूर है कि भाजपा की बढ़त नजर आ रही है।

By इंडिया वॉइस 

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UP Assembly Election 2022 : विधानसभा चुनाव में अब भाजपा और सपा के बीच लड़ाई सिमटती जा रही है। इस बार बसपा का कोर वोटर भी भाजपा की तरफ झुकता हुआ दिख रहा है। इस बीच यह भी स्थिति देखने को मिल रही है कि मतदाता की सोच कहीं दूसरी जगह बनी हुई है, लेकिन कैमरे के सामने मतदाता दूसरी पार्टी की बात करता है।

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यही कारण है कि इससे चुनावी पंडितों का गणित भी गड़बड़ होता हुआ नजर आ रहा है। अब सरकार किसकी बनेगी, यह तो 10 मार्च को ही पता चल पाएगा लेकिन इतना जरूर है कि भाजपा की बढ़त नजर आ रही है।

चुनावी स्थितियों को भांप पाना बेहद मुश्किल 

विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक विद्वान तरह तरह की बातें करते नजर आ रहे हैं। इस संबंध में कुछ वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि स्थितियां बहुत कांटे की हैं। इस चुनाव में पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि बसपा का कोर वोटर भी भाजपा के पक्ष में जाता हुआ नजर आ रहा है। कई जगह तो आलम यह भी है कि जो मतदाता कैमरे के सामने किसी और पार्टी की बात करता हुआ नजर आ रहा है वो कैमरा बंद होते ही अन्य पार्टी की तारीफ़ करने लग जाता है। ऐसे में फिलहाल चुनावी चुनावी स्थितियों को सही ढंग से भांप पाना बेहद मुश्किल होता हुआ नजर आ रहा है।

भाजपा को मिल सकता है अल्पसंख्यक समाज का साथ 

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बता दें कि इस विधानसभा चुनाव में उम्मीद जताई जा रही है कि भाजपा को अल्पसंख्यक समाज का साथ मिल सकता है। इसका कारण लोग समाज को बताते हैं। कुछ जमीनी हकीकत से जुड़े पत्रकारों के मुताबिक उदाहरण के तौर पर यह बताया गया कि एक अल्पसंख्यक समाज के व्यक्ति ने कैमरे के सामने भाजपा को भला-बुरा कह रहा था। कैमरा बंद करते ही कहने लगा, भैया, मेरे लड़के की शादी थी। मेरे पास पैसे बहुत कम थे, उसी से एक दिन पहले एक योजना का पैसा प्रधानमंत्री ने भेज दिया। अब आप ही बताओं जो हमारे काम आया, हम उसके काम क्यों नहीं आएंगे ?

हर दिन बदल रही हैं स्थितियां 

लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि स्थितियां हर दिन बदल रही हैं, लेकिन इसमें मुख्य बात यह है कि लड़ाई सिर्फ भाजपा और सपा के बीच सिमट गयी है। एक समुदाय इसे अपनी लड़ाई मानकर चलने लगा है। वह वर्ग यह मानकर चल रहा है कि यदि इस बार सपा हार गयी तो हमारी राजनीतिक पकड़ खत्म हो जाएगी।

इस बीच सपा के टिकट बंटवारे में की गयी कुछ गड़बड़ियों ने भाजपा को मुद्दा दे दिया और अराजकता बनाम सुशासन की लड़ाई की ओर रुख करने में भाजपा सफल होती दिख रही है। परन्तु आपको बता दें कि प्रदेश में जिस तरह से विकास के मुद्दे को पीछे छोड़ जातिवाद का मुद्दा उठाया जा रहा है उससे कहीं न कहीं प्रदेश विकास की राह पर ना जाकर विनाश की राह पर निकल रहा है।

 

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