राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव ने जारी निर्देश में कहा है कि उक्त अधिसूचना का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के अंतर्गत माल की जब्ती, पर्यावरण क्षतिपूर्ति की वसूली, उद्योगों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के संचालन को बंद करने सहित अन्य कार्रवाई की जाएगी।
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रांची : झारखंड में सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर एक जुलाई से रोक लग जायेगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के निर्देश पर झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस बारे में नोटिस जारी कर दिया है। प्रदूषण बोर्ड के सदस्य सचिव यतींद्र कुमार दास ने इसके उत्पादन, भंडारण, वितरण और इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने की बात कही है।
झारखंड सरकार 18 सितंबर 2017 को ही राज्य में पॉलिथीन को प्रतिबंधित कर चुकी है। ऐसे में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले ईयरबड से लेकर प्लास्टिक के झंडों पर भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने रोक लगा दी है। जल्द ही देश भर में इसके उत्पादन, भंडारण, वितरण और इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी जाएगी। 30 जून से पहले इन सामानों की भंडारण को पूरी तरह से शून्य करने का निर्देश दिया गया है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव ने जारी निर्देश में कहा है कि उक्त अधिसूचना का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के अंतर्गत माल की जब्ती, पर्यावरण क्षतिपूर्ति की वसूली, उद्योगों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के संचालन को बंद करने सहित अन्य कार्रवाई की जाएगी।
ये वस्तुएं प्रतिबंधित
झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि एक जुलाई से प्लास्टिक स्टिक वाले ईयरबड, गुब्बारे में लगने वाले प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, सजावट में काम आने वाले थर्मोकोल आदि प्रतिबंधित रहेगा। इसके अलावा प्लास्टिक कप, प्लेट, ग्लास, कांटा, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे जैसी कटलेरी आइटम, मिठाई के डिब्बों पर लगाई जाने वाली प्लास्टिक, प्लास्टिक के निमंत्रण पत्र, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले बैनर आदि का भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
क्या है सिंगल यूज प्लास्टिक
सिंगल यूज प्लास्टिक का उत्पादन और निर्माण इस तरह से किया जाता है कि एक बार इस्तेमाल होने के बाद उसे फेंक दिया जाए। इस परिभाषा के हिसाब से प्लास्टिक के तमाम उत्पाद इसी श्रेणी में आते हैं। इसमें डिस्पोजेबल स्ट्रा से लेकर डिस्पोजेबल सीरींज तक सभी शामिल हैं। इनके उत्पादन पर खर्च बहुत कम आता है, जिसके कारण इसका बिजनेस और उपयोग भी खूब हो रहा है।