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विधानसभा चुनाव से पहले ये कैसी सियासत ? ‘आदिवासियों’ को साधने की सियासी जुगत

छत्तीसगढ़ में विश्व आदिवासी दिवस गौरव पर्व मनाने के बाद काग्रेस और भाजपा में आदिवासी विरोधी होने को लेकर एक बार फिर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दाैर शुरू हो गया है। यह आरोप-प्रत्यारोप का दौर नंदकुमार साय के कांग्रेस प्रवेश से लेकर अब तक चल रहा है।

By Rakesh 

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में विश्व आदिवासी दिवस गौरव पर्व मनाने के बाद काग्रेस और भाजपा में आदिवासी विरोधी होने को लेकर एक बार फिर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दाैर शुरू हो गया है।

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यह आरोप-प्रत्यारोप का दौर नंदकुमार साय के कांग्रेस प्रवेश से लेकर अब तक चल रहा है, लेकिन, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम द्वारा राज्य की भूपेश सरकार को आदिवासी विरोधी बताते हुए कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद और गरमा गया है।

अरविंद नेताम ने अपना इस्तीफा छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को भेज दिया है। इससे पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा को आदिवासी विरोधी करार देते हुए आदिवासियों को 15 साल के कार्यकाल में नक्सली बताकर उनके साथ मारपीट कर जेल भेजने और उनके अधिकारों का हनन करने की बात कही है, जिसे लेकर भाजपा ने भी कांग्रेस सरकार पर पलटवार किया था।

वहीं, छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज की बात करें तो समाज के लोग भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सियासी पार्टियों में ठगा महसूस करते हैं शायद इसीलिए अरविंद नेताम ने कांग्रेस से इस्तीफे के बाद अपनी भाजपा प्रवेश की अटकलों पर विराम लगाते हुए सिर्फ आदिवासी समाज से जुड़कर काम करने की बात कही है।

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