एक बहुत बड़ी खबर लखीमपुर हिंसा मामले से सामने आ रही है। लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को बुधवार सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई.
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Ashish Mishra gets Bail in Lakhimpur Kheri Case: एक बहुत बड़ी खबर लखीमपुर हिंसा मामले से सामने आ रही है। लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को बुधवार सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत मिश्रा और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच ने 25 जनवरी को ये फैसला सुनाया. कोर्ट ने 19 जनवरी को आशीष मिश्रा की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था. यूपी सरकार ने आशीष मिश्रा को जमानत देने का शीर्ष अदालत (Supreme Court) में विरोध किया था. योगी आदित्यनाथ सरकार ने दलील दी थी कि ये बेहद गंभीर मामला है औऱ इसमें आरोपी को जमानत देने से समाज में गलत संदेश जा सकता है.
यूपी सरकार ने जमानत का किया था विरोध
उत्तर प्रदेश के एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध किया. जमानत याचिका के विरोध में सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने भी कहा कि जमानत देने से समाज में गंभीर संदेश जाएगा.दवे के अनुसार, यह सोची समझी साजिश के तहत सुनियोजित हत्याकांड था. चार्जशीट यह बात साबित करती है. वो एक प्रभावशाली शख्स का बेटा है और प्रभावशाली वकील उनकी पैरवी कर रहा है. वहीं आशीष मिश्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दवे की दलील का कड़ा विरोध किया. रोहतगी ने कहा, कौन प्रभावाशाली है ये क्या बात हुई, हमारी हर दिन कोर्ट में पेशी है. जमानत न देने का ये आधार नहीं हो सकता?
एक साल से ज्यादा वक्त से जेल में
रोहतगी ने साफ तौर पर कहा, आशीष मिश्रा एक साल से ज्यादा समय से न्यायिक हिरासत में है. निचली अदालत में सुनवाई होने में 7-8 वर्ष लग जाएंगे. केस में शिकायतकर्ता जगजीत सिंह चश्मदीद गवाह नहीं है. उसकी शिकायत कही सुनी बातों पर है. आशीष मिश्रा कोई आदतन अपराधी नहीं है. उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है.अन्य आरोपियों ने माना है कि उन्होंने किसानों को बेरहमी से कुचला. लेकिन ऐसे शख्स के बयान पर FIR दर्ज कर ली गई, जो घटनास्थल का चश्मदीद नहीं था?
कृषि कानूनों के विरोध प्रदर्शन के दौरान घटना
मालूम हो कि 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में हुई हिंसा (Tikunia Violence) में 8 लोगों की मौत हुई थी. उस वक्त प्रदर्शनकारी किसान उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की रैली का विरोध कर रहे थे. यूपी पुलिस की एफआईआर के अनुसार, 4 किसानों को थार एसयूवी ने कुचला था, इसमें आशीष मिश्रा भी बैठा था. किसानों को कुचलने की घटना के बाद नाराज किसानों ने कथित तौर पर एक ड्राइवर और दो बीजेपी कार्यकर्ताओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. जबकि एक पत्रकार की ने भी जान गंवाई.
6 दिसंबर को तय हुए आरोप
6 दिसंबर 2022 को निचली अदालत ने लखीमपुर खीरी केस में किसानों की मौत के मामले में हत्या, आपराधिक साजिश जैसे आरोपों के तहत अजय मिश्रा समेत 13 आरोपियों पर चार्ज तय किए थे. आशीष मिश्रा समेत 13 आरोपियों पर IPC की धारा 147- 148 के तहत दंगा, आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या, 307 यानी हत्या का प्रयास, 326 यानी जानबूझकर खतरनाक हथियारों से जानलेवा चोट देना का आरोप है. सभी अभियुक्तों पर धारा 120बी के तहत आपराधिक साजिश और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177 के तहत आरोप चार्जशीट में लगाए गए हैं.
केस में 12 और आरोपी
अजय मिश्रा के अलावा अंकित दास, लतीफ काले, नंदन सिंह बिष्ट, सत्य प्रकाश त्रिपाठी, आशीष पांडे, शेखर भारती, लवकुश राणा, सुमित जायसवाल, शिशु पाल, रिंकू राणा, उल्लास कुमार त्रिवेदी और धर्मेंद्र बंजारा शामिल हैं. ये सभी आरोपी जेल में बंद हैं.