यूपी में भाजपा के हारे हुए सांसदों और मंत्रियों की खराब परफॉर्मेंस पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। सूत्रों के अनुसार जिलेस्तर पर जो बात निकल कर सामने आई है, उनमें से कुछ खास वजहों को हार का कारण बताया जा रहा है। जिन सांसदों के खिलाफ माहौल होने के आधार पर संगठन की ओर से टिकट बदलने की रिपोर्ट हाईकमान को भेजी गई थी, उनमें से अधिकांश सांसदों के बारे में यही कहा जाता रहा है कि चुनाव जीतने के बाद पांच साल तक वह जनता के बीच से गायब रहे।
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लखनऊ। यूपी में भाजपा के हारे हुए सांसदों और मंत्रियों की खराब परफॉर्मेंस पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। सूत्रों के अनुसार जिलेस्तर पर जो बात निकल कर सामने आई है, उनमें से कुछ खास वजहों को हार का कारण बताया जा रहा है। जिन सांसदों के खिलाफ माहौल होने के आधार पर संगठन की ओर से टिकट बदलने की रिपोर्ट हाईकमान को भेजी गई थी, उनमें से अधिकांश सांसदों के बारे में यही कहा जाता रहा है कि चुनाव जीतने के बाद पांच साल तक वह जनता के बीच से गायब रहे।
क्षेत्र से उनका जुड़ाव नहीं रहा। अपने पूरे कार्यकाल में जनता के बीच काम न करके ऐसे तमाम सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भरोसे बैठे रहे। इसी कारण तमाम सांसदों को जनता ने नकार दिया है। पश्चिम से लेकर पूरब तक करीब 40 मौजूदा सांसदों के खिलाफ माहौल खराब होने की बात कही जा रही थी। पार्टी की जिला इकाई से लेकर क्षेत्रीय और प्रदेश स्तर से भी ऐसे सांसदों के बारे में रिपोर्ट दिल्ली भेजी गई थी। इसके बावजूद उनमें से अधिकांश को दोबारा टिकट दिया गया।
आंतरिक रिपोर्ट में ‘फेल’ घोषित ऐसे सांसदों के खिलाफ बने माहौल को भांपते हुए खूब कोशिश भी की। संबंधित सीटों के जातीय समीकरणों को देखते हुए उसी जाति के कई मंत्रियों के साथ प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों को भी उन सीटों पर उतारा गया। इसके बावजूद जनता में पनपी नाराजगी कम नहीं हुई। सूत्रों के मुताबिक सांसदों की लोकप्रियता और जीतने की संभावना को आधार बनाकर पार्टी की ओर से कराए गए सर्वे में भी तीन दर्जन से अधिक सांसदों के चुनाव न जीतने की रिपोर्ट शीर्ष नेतृत्व को मिली थी।
इनमें कई केंद्रीय मंत्री भी शामिल थे। लेकिन इसकी अनदेखी करके उन्हें दोबारा टिकट दे दिया गया।यूपी में भाजपा की बिगड़ी चाल के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार पार्टी के ही बड़े नेताओं का अति आत्मविश्वास था। जिस तरह से स्थानीय और पार्टी के काडर कार्यकर्ताओं की अनदेखी करते हुए टिकट का बंटवारा किया गया, उससे भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ।