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सीएम के भाई बसंत सोरेन की विधायकी भी मुश्किल में, चुनाव आयोग ने राज्यपाल को भेजी रिपोर्ट

By इंडिया वॉइस 

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झारखंड सरकार की मुश्किलें खत्म होने का नाम ही नही ले रही हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायकी पर मंडरा रहे खतरे के बादल के बाद अब उनके भाई पर भी यही तलवार लटक रही है. वंही हेमंत सोरेन ने इस्तीफा देने से साफ मना कर दिया है. बसंत सोरेन दुमका से जेएमएम के विधायक होने साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई भी है. उनकी विधायकी रद्द करने के मामले पर चुनाव आयोग ने अपनी राय झारखंड के राज्यपाल के पास शुक्रवार की शाम भेज दी.
सूत्रों की मानें तो बसंत सोरेन के खनन कंपनी में साझेदार होने के आरोपों के संबंध में निर्वाचन विभाग को पर्याप्त तथ्य नहीं मिले हैं. इस कारण आयोग ने फैसला राज्यपाल के विवेक पर छोड़ा है. 29 अगस्त को बसंत सोरेन के मामले की आखिरी सुनवाई निर्वाचन विभाग (EC) में हुई थी. अब सब की निगाहें राजभवन के तरफ टिकी हुई हैं.

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आपको बता दें कि बसंत सोरेन के वकील ने आयोग के सामने अपनी बात रखते हुए कहा कि बसंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने से जुड़े इस मामले में सुनवाई उचित नहीं है. यह राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. इस दौरान बीजेपी के अधिवक्ता ने बताया था कि बसंत जिस माइनिंग कंपनी से जुड़े हैं, वह राज्य में खनन का काम करती हैं. ऐसे में यह संविधान के अनुच्छेद 191 (1) के तहत राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में आता हैं.

बीजेपी ने राज्यपाल को पत्र लिख कर आरोप लगाया था कि बसंत चंद्र स्टोन वर्क्स में पार्टनर हैं. उनकी माइनिंग कंपनी में भी हिस्सेदारी है. जिसके उपर सरकार के 8 करोड़ रुपये बाकी है. राज्यपाल ने इस मामले पर निर्वाचन विभाग से राय मांगी थी. बीजेपी ने राज्य जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के धारा 9A के तहत बसंत की विधानसभा सदस्यता को रद्द करने की मांग उठाई थी.

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