देश की राजनीति में एक बार फिर रेवड़ी कल्चर जोर पकड़ रही है। राजनीतिक दलों को मतदाता को लुभाना पहली प्राथमिकता बनता जा रहा है, मगर देश में छत्तीसगढ़ एक नए मॉडल के तौर पर सामने आ रहा है।
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रायपुर। देश की राजनीति में एक बार फिर रेवड़ी कल्चर जोर पकड़ रही है। राजनीतिक दलों को मतदाता को लुभाना पहली प्राथमिकता बनता जा रहा है, मगर देश में छत्तीसगढ़ एक नए मॉडल के तौर पर सामने आ रहा है। जहां रेवड़ी के साथ-साथ रोजगार के भी अवसर मुहैया कराए जा रहे हैं ताकि आम लोग आर्थिक तौर पर सबल तो बनें ही, साथ में अर्थ का पहिया भी तेज गति से दौड़ता नजर आए।
देश में चाहे लोकसभा चुनाव हो या राज्य के चुनाव, उनके करीब आते ही सरकारें खजाने का मुंह खोल देती हैं और सौगातों की बरसात करने में नहीं हिचकती। छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ समय से लगातार राज्य की कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदेश की जनता के लिए नए-नए योजनाएं एवं रोजगार के अवसर प्रदान किये जा रहे हैं जिनकी चर्चा सब तरफ हो रही है।
पिछले चुनावों में बीजेपी के गुजरात मॉडल की तरह ही कांग्रेस इस बार छत्तीसगढ़ मॉडल को प्रमोट कर रही है। कांग्रेस इस बार 5 राज्यों में प्रचार के लिए छत्तीसगढ़ मॉडल को लेकर जाने वाली है और यहां की योजनाओं के नाम पर जनता से वोट मांगने की कोशिश करेगी। हालांकि, कांग्रेस के इस प्लान पर बीजेपी ने निशाना साधना शुरू कर दिया है।
छत्तीसगढ़ मॉडल पर वरीष्ठ भाजपा नेता धरमलाल कौशिक ने कहा कि इनके गठबंधन के लगातार विवादित बोल सामने आ रहे है। सनातन संस्कृति को खंडित करने का काम किया जा रहा है। भूपेश बघेल का छत्तीसगढ़ मॉडल फेल हो चुका है। इनको वन नेशन वन इलेक्शन पर सहमति देना चाहिए। उसके बाद छत्तीसगढ़ मॉडल के आधार पर चुनाव लड़ना चाहिए।