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अभिनेत्री दीप्ति नवल ने मस्जिद विवाद पर दिया चौकाने वाला बयान, कहा – उन्हें पुराना मंदिर ही पसंद था

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित “बनारस लिट फेस्टिवल” में पहुंची मशहूर अभिनेत्री दीप्ति नवल ने देश के मौजूदा माहौल मंदिर – मस्जिद को लेकर चौकाने वाला बयान दिया है।

By Shahi 

Updated Date

वाराणसी : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित “बनारस लिट फेस्टिवल” में पहुंची मशहूर अभिनेत्री दीप्ति नवल ने देश के मौजूदा माहौल मंदिर – मस्जिद को लेकर चौकाने वाला बयान दिया है। वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान अभिनेत्री ने देश में मंदिर – मस्जिद वाले विवाद पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि “मौजूदा समय में देश का माहौल हिला हुआ है और इसे बाधना ही सही रहेगा”। अभिनेत्री दीप्ति नवल ने बनारस के श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में हुए कार्य पर भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें पुराना मंदिर ही पसंद था। वही उन्होंने मौजूदा समय कि फिल्मों को लेकर कहा कि आज इस तरह कि फिल्मों को बनाया जा रहा है, जो समाज में हो रहा है और जब समाज का माहौल बदलता है, तो फिल्मे भी बदल जाती है।

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देश के मौजूदा मंदिर – मस्जिद वाले माहौल पर अभिनेत्री दीप्ति नवल की सलाह

उन्होंने आगे कहा – कि पहले आज के समय में सभी को एक साथ चलाना चाहिए, हमारे बचपन में कोई दिक्कत नही थी। मैं अपने स्कूल के समय चर्च जाती थी और घर के पास मस्जिद होने की वजह से पांच वक्त की नमाज भी सुनाई देती थी। हम अजान को सुनते थे और यह हमारे जीवन का एक हिस्सा था। यही नही गोल्डन टेंपल जाकर अरदास भी सुना करते थे। जब उस समय यह सभी चीज एक साथ हो सकती थी, तो आज भी समाज में बिना किसी शोर के यह किया जा सकता है, लेकिन मौजूदा समय का माहौल थोड़ा हिला हुआ है और इसे बांधने की आवश्कता है।

उन्होंने आगे कहा – इन दिनों समाजिक मुद्दो को लेकर फिल्म बनाने वालों की दिलचस्पी और दर्शकों में बढ़ती लोकप्रियता को लेकर कहा कि समाज में जो घटनाएं या जो माहौल होता है, फिल्मे भी उसी को दर्शाती है। कभी -कभी कुछ ऐसी फिल्में भी होती है, जो कहा नही जा स्काता लेकिन फिल्म में दिखाए जाने के बाद लोग चौक जाते है, कि समाज में ऐसा कुछ भी हो रहा है। ऐसे में जब माहौल बदलता है, तो फिल्मे भी बदल जाती है।

कई ऐसे मुद्दे है, जिस पर समाज ध्यान नही देता लेकिन फिल्म बनाने के बाद उस पर ध्यान दिया जाता है। जब कश्मीरी पंडितों का पालान हुआ था, तो मैं वहां पर गई थी। जम्मू कश्मीर से बाहर रहने वाले कश्मीरी पंडितों के परिवार से मिलकर वहां के हालातो के बारे में जाना। उसे समय सोशल मीडिया नहीं था और ना ही उनकी इस हालात पर कोई फिल्म बनी थी, तो लोगों को पता भी नहीं था कि कश्मीरी पंडितों के साथ असल में हुआ क्या है। जब फिल्म बनी तो लोगों को पता चला कि वाकई में कश्मीरी पंडितों के साथ क्या हुआ था, तब जाकर लोग इसके प्रति जागे।

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