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अदालत के आदेश की अवमानना के मामले में हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को जारी किया नोटिस

By इंडिया वॉइस 

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पटना : गैरकानूनी तरीके से हटाए गए मोतिहारी के लोक अभियोजक (पीपी) जय प्रकाश मिश्र को अदालती आदेश के दो महीना बीत जाने के बाद भी उनके पद पर बहाल नही किये जाने पर नाराज हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को नोटिस जारी कर दस दिन के अंदर जवाब तलब किया है।हाईकोर्ट ने कार्यालय को कहा कि इस आदेश की प्रति को डाक से तुरंत मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दिया जाए।

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सुनवाई के समय विधि विभाग के संयुक्त सचिव उमेश कुमार शर्मा हाईकोर्ट में उपस्थित थे। कोर्ट ने इसके पूर्व सुनवाई करते हुए विधि विभाग के संयुक्त सचिव को नोटिस जारी करते उनसे स्पष्टीकरण मांगा था। हाईकोर्ट ने उनसे यह पूछा था कि अदालती आदेश की अवहेलना के मामले में क्यों नही उन्हें जिम्मेवार माना जाए।

न्यायमूर्ति पीबी बजनथ्री की एकलपीठ ने गैरकानूनी तरीके से हटाए गए मोतिहारी के लोक अभियोजक (पीपी) जय प्रकाश मिश्र द्वारा अदालती आदेश की अवमानना को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने सरकारी वकील द्वारा कोर्ट को दिए गए सभी स्पष्टीकरण को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि संयुक्त सचिव अगर न्यायिक सेवा के अधिकारी हैं तो उन्हें यह पता होना चाहिए कि कोर्ट के आदेश का पालन कराना उनकी प्राथिमकता थी। अगर यह मामला मुख्यमंत्री के यहां महीनों से लंबित है तो उन्हें स्वयं इस मामले में पहल करनी चाहिए थी,जो उन्होंने नही किया। हाईकोर्ट ने सरकारी वकील को स्पष्ट रूप से कहा कि अवमानना का यह मामला दोषी पदाधिकारी के विरुद्ध दायर किया गया है। इसलिए इस मामले को लेकर जिम्मेदार व्यक्ति को खुद अदालत में अपना जवाब देना होगा कि उसने अदालती आदेश का पालन निर्धारित अवधि में क्यों नही किया।यह मामला कोर्ट और दोषी व्यक्ति के बीच का है इसलिए कोर्ट में दोषी व्यक्ति को खुद अपना जवाब देना होगा।

इसके पहले हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए विधि विभाग के संयुक्त सचिव को 21 दिसंबर-2021 को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता के बर्खास्तगी आदेश को एक सप्ताह में वापस लेते हुए तत्काल प्रभाव से इनकी नियुक्ति मोतिहारी के पीपी के पद पर करने का पत्र वे जारी कर दे।अदालती आदेश में दिए गए निर्धारित अवधि के बीत जाने के बाद भी जब याचिकाकर्ता की नियुक्ति नही की गई तो अदालती आदेश की अवमानना का यह मामला दायर किया गया जिसपर सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह निर्देश दिया।

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