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Karwa Chauth 2022:करवा चौथ की कथा,किसने सबसे पहले रखा था ये व्रत

By इंडिया वॉइस 

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Karwa Chauth Vrat:कारवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाए अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती है,इस व्रत के करने से पति-पत्नी मे प्यार बना रहता है साथ ही पति निरोगी भी रहता है.इस दिन महिलाए 16 सिंगार करके अपने पति के लिए नीराजल व्रत रखती है,करवा चौथ का व्रत करने वाली महिलाओ को करवा चौथ की कथा जरूर सुनानी चाहिए

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कारवा चौथ के व्रत के दिन सुहागिने 16 सिंगार करके माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती है,इससे माँ पार्वती और भगवान शिव प्रसन्न होकर अखंड सौभाग्यवति होने का वरदान देते है,करवा चौथ से जुड़ी अनेक कथा है

करवा चौथ की कथा
महाभारत काल की कथा के मुताबिक,एक बार अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्‍या करने गए थे. उसी समय पांडवों पर कई तरह के संकट आ गए, तब द्रोपदी ने भगवान श्रीकृष्‍ण से पांडवों को संकट से बाहर निकालने का उपाय पूछा. उस समय श्रीकृष्‍ण ने बताया कि कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन करवा का व्रत करिए. इसके बाद द्रोपदी ने इस व्रत को किया और पांडवों को संकट से मुक्ति मिल गई.

एक कथा ये भी है कि प्राचीन समय मे एक करवा नाम की स्त्री थी,एक बार उसका पति नदी मे स्‍नान कर रहा था,उसी समय एक मगर ने उसका पैर पकड़ लिया,उसके बाद करवा के पति ने उसे मदद के लिए आवाज दी,तब करवा ने अपनी सतीत्‍व के प्रताप से मगरमच्‍छ को कच्‍चे धागे से बांध लिया और यमराज के पास पहुंची. करवा ने यमराज से पति की जान बचाने और मगर को मृत्‍युदंड देने की प्रार्थना की. इसके बाद यमराज ने कहा कि मगरमच्छ की आयु अभी शेष है, समय से पहले उसे मृत्‍यु नहीं दी जा सकती. उस समय करवा ने यमराज से कहा कि अगर उन्‍होंने करवा के पति को चिरायु होने का वरदान नहीं दिया तो वह अपने तपोबल से उन्‍हें नष्‍ट होने का श्राप दे देगी. इसके बाद करवा के पति को जीवनदान मिल गया और मगरमच्‍छ को मृत्‍युदंड.

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