Booking.com

राज्य

  1. हिन्दी समाचार
  2. देश
  3. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा- राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी पेरारिवलन को क्यों नहीं रिहा किया जा सकता

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा- राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी पेरारिवलन को क्यों नहीं रिहा किया जा सकता

जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा कि बिना कानूनी पहलू पर गौर किए यह बताएं कि क्षमा करने पर फैसला करने के लिए उचित प्राधिकार राष्ट्रपति हैं या राज्यपाल।

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

नई दिल्ली, 27 अप्रैल। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी पेरारिवलन को रिहा क्यों नहीं किया जा सकता है। जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा कि बिना कानूनी पहलू पर गौर किए यह बताएं कि क्षमा करने पर फैसला करने के लिए उचित प्राधिकार राष्ट्रपति हैं या राज्यपाल।

पढ़ें :- Nithyananda Cheating American Cities: अमेरिकी शहरों को ठग रहा नित्यानंद......US के 30 शहरों के साथ किया फर्जी समझौता

कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की इस बात के लिए आलोचना की कि इस मामले को राष्ट्रपति के पास रेफर कर दिया। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल यह कहकर किसी मामले को राष्ट्रपति के पास सीधे नहीं भेज सकते हैं कि राज्य कैबिनेट ने अपने अधिकार का दुरुपयोग किया है। ऐसा करना संघवाद के खिलाफ है।

पेरारिवलन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि राज्य की कैबिनेट ने सजा माफ करने पर अपनी अनुशंसा राज्यपाल को भेजी थी, लेकिन राज्यपाल ने उसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया। 6 सितंबर 2018 को पेरारिवलन ने राज्यपाल के पास सजा माफी की याचिका दायर की थी। 9 सितंबर 2018 को राज्य सरकार ने अपनी अनुशंसा राज्यपाल को भेज दी थी। राज्य सरकार की अनुशंसा राज्यपाल को माननी होती है। राज्यपाल ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है इसलिए उस पर फैसले के बाद वो फैसला करेंगे। 9 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी राज्यपाल ने फैसला नहीं किया।

नौ मार्च को कोर्ट ने पेरारिवलन को जमानत दी थी। सुप्रीम कोर्ट पेरारिवलन की सजा माफ करने की याचिका पर सुनवाई के दौरान 3 नवंबर 2020 को राज्य सरकार को राज्यपाल से एक बार फिर से सिफारिश करने का निर्देश दिया था, जिसमें राज्य सरकार की ओर से की गई सिफारिश पर राज्यपाल को फैसला लेने का आग्रह किया है।

दरअसल इस मामले में राज्य सरकार ने आरोप लगाया है कि उसकी सिफारिश पर राज्यपाल ने दो सालों से कोई फैसला नहीं लिया है।

पढ़ें :- Nature on farmers havoc of: बदला मौसम का मिजाज.....किसानों पर कुदरत का कहर....फसलों को भारी नुकसान

इस मामले में सीबीआई ने हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया था कि तमिलनाडु के राज्यपाल को इस मामले में फैसला करने का अधिकार है। ये राज्यपाल ही तय करेंगे कि पेरारिवलन को रिहा किया जाए या नहीं। पहले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा था कि वो दया याचिका पर फैसला करे। पेरारिवलन की ओर से कहा गया है कि उन्होंने 2018 में राज्यपाल के पास दया याचिका लगाई थी और कहा था कि उनकी बाकी सजा माफ की जाए।

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook, YouTube और Twitter पर फॉलो करे...
Booking.com
Booking.com
Booking.com
Booking.com