बाबू वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव में एक साथ 78,000 तिरंगा लहराकर आज बिहार ने पाकिस्तान के 57 हजार झंडा फहराने का रिकॉर्ड तोड़कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड के आंकड़े में नाम दर्ज करा लिया है।
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पटना, 23 अप्रैल। बिहार में आरा जिले के जगदीशपुर स्थित दुलौरा मैदान में बाबू वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव समारोह में शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को साल 2047 तक दुनिया में नंबर वन बनाने का लक्ष्य रखा है।
बाबू वीर कुँवर सिंह जी देशभक्ति, वीरता और सामाजिक समरसता के अद्वितीय प्रतीक थे। उम्र के उस पड़ाव में मातृभूमि की आजादी के लिए जिस साहस व समर्पण से उन्होंने विदेशी शासन से लोहा लिया वह चिरकाल तक हमें राष्ट्रसेवा की प्रेरणा देता रहेगा।
आजादी के ऐसे महानायक को कोटिशः नमन। pic.twitter.com/hSBHVTl1AW
— Amit Shah (@AmitShah) April 23, 2022
वीर कुंवर सिंह के नाम पर स्मारक बनाएगी भारत सरकार- शाह
अमित शाह ने विजयोत्सव के मौके पर वीर कुंवर के परिवार की चौथी पीढ़ी के सदस्य ब्रह्मानंद का सम्मान भी किया। उन्होंने कहा कि बाबू वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव में एक साथ 78,000 तिरंगा लहराकर आज बिहार ने पाकिस्तान के 57 हजार झंडा फहराने का रिकॉर्ड तोड़कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड के आंकड़े में नाम दर्ज करा लिया है। अमित शाह ने बाबू वीर कुंवर सिंह को श्रद्धाजंलि देते हुए कहा कि बाबू वीर कुंवर सिंह देशभक्ति, वीरता और सामाजिक समरसता के अद्वितीय प्रतीक थे। उन्होंने ऐलान किया कि भारत सरकार वीर कुंवर सिंह के नाम पर स्मारक बनाएगी। साथ ही कहा कि इतिहास ने बाबू कुंवर सिंह के साथ अन्याय किया। उनकी वीरता के अनुरूप उन्हें जगह नहीं दी गई।
बाबू वीर कुँवर सिंह जी स्वतंत्रता आंदोलन के ऐसे वीर महानायक थे जिन्होंने 80साल की उम्र में भी अपने साहस व पराक्रम से विदेशी शासन को बार-बार धुल चटाई।
आज जगदीशपुर की वीर भूमि पर #AzadiKaAmritMahotsav के अंतर्गत आयोजित बाबू वीर कुँवर सिंह विजयोत्सव को बड़ी भव्यता के साथ मनाया गया। pic.twitter.com/IbfenFRodC
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साहस कुंवर सिंह ने विजय का झंडा फहराया- शाह
अमित शाह ने कहा कि आज बिहार की जनता पलक पांवड़े बिछाकर उनका नाम एक बार फिर से अमर कर रही है। 80 साल की उम्र के कुंवर सिंह जी ने इस क्षेत्र को अंग्रेजों से मुक्ति दिलाई। आजादी के पहले संग्राम को इतिहासकारों ने विफल विद्रोह कहकर बदनाम करने का काम किया। वीर सावरकर ने स्वतंत्रता संग्राम कहकर सम्मानित करने का काम किया। शाह ने कहा कि बाबू कुंवर सिंह के हाथ में गोली लग गई। उन्होंने अपने ही हाथ से अपना दूसरा हाथ काट लिया। ऐसे साहस कुंवर सिंह के अलावा किसी में नहीं हो सकता। वीर कुंवर सिंह ऐसे अकेले थें, जिन्होंने 80 साल के होने के बावजूद आरा-सासाराम से लेकर अयोध्या से बलिया होते हुए विजय का झंडा फहराया। चार दिन तक खून बहने के बावजूद भी उस वीर व्यक्ति का प्राण नहीं गया। जगदीशपुर में आजादी का झंडा फहराने के बाद वो शहीद हुए। अमित शाह ने कहा कि मैं जब यहां पहुंचने वाला था तो हेलीकॉप्टर से नजारा देखता आया हूं। चारों तरफ सिर ही सिर और तिरंगा ही तिरंगा दिखाई दिया। कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत माता की जय” की आवाज जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ये क्षेत्र विश्वामित्र की जन्मभूमि है। यहीं ताड़का वध प्रभु श्रीराम ने किया था। यहीं से मिथिला जाने की उन्हें प्रेरणा मिली। यहां वशिष्ठ नारायण की जन्मभूमि रही।
'बाबू वीर कुँवर सिंह विजयोत्सव' के अवसर पर उनके परिवार की चौथी पीढ़ी के सदस्य श्री ब्रह्मानंद जी का सम्मान किया।
मोदी सरकार स्वतंत्रता आंदोलन के भुला दिए गये वीर नायकों की शौर्यगाथा को जनमानस की स्मृति में पुनर्जीवित कर उन्हें इतिहास में उचित सम्मान देने हेतु निरंतर सेवारत है। pic.twitter.com/BPli3sApTG
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गोपाल नारायण विश्वविद्यालय में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए गृहमंत्री
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आरा के बाद रोहतास में गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय जमुहार के पहले दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए । राज्यपाल फागू चौहान बतौर विशिष्ट गेस्ट शामिल रहे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि ये भूमि बहुत ही ऊर्जावान है। इस भूमि से पूरे आर्यावर्त पर 1100 साल तक शासन चला। मैं इतिहास का छात्र हूं। इसी भूमि पर गायत्री मंत्र का महर्षि विश्वामित्र ने खोज की थी। इसी जगह पर महर्षि विश्वामित्र का जन्म हुआ। ये भगवान महावीर आचार्य चाणक्य और चंद्रगुप्त की भूमि है। पूरी दुनिया के शिक्षा का केंद्र नालंदा विश्वविद्यालय यहीं पर था। तक्षशिला विश्वविद्यालय भले ही वर्तमान पाकिस्तान में था, लेकिन उसका नियंत्रण यही से होता था। गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय का संक्षिप्त परिचय देते हुए गृहमंत्री ने कहा कि एक ही छत के नीचे इस विश्वविद्यालय में डॉक्टरी, नर्सिंग, पत्रकारिता सहित कई अन्य विषयों का पढ़ाई होती है, जो अपने आप में अनूठा है।
बचपन में जब मेरे इतिहास के शिक्षक ने बाबू कुंवर सिंह जी के साहस व वीरता की गौरवगाथा बताई थी तो उस समय मेरे रोंगटे खड़े हो गये थे और आज जब यहाँ लाखों लोग तिरंगा लेकर बाबू कुंवर सिंह जी को श्रद्धांजलि देने आए हैं तो भी उनका देशभक्ति का जज्बा देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए हैं। pic.twitter.com/oUl7yfBLTx
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