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ललितपुर में पोते के लिए दादा-दादी बैठे आमरण अनशन पर, अपनी ही बेटी पर बंधक बनाकर रखने का लगाया आरोप

मामला ललितपुर के सदर कोतवाली क्षेत्र का है। जहां घंटाघर चौक पर बुजुर्ग दादा-दादी अपनी पोते के लिए आमरण अनशन पर बैठे हैं। बुजुर्ग दंपति मध्य प्रदेश के निवासी हैं, जो मनोहर चतुर्वेदी के नाम से जाने जाते हैं। ललितपुर में रह रही बेटी के खिलाफ अनशन पर बैठकर अपने पोते को पाना चाहते हैं।

By Rakesh 

Updated Date

ललितपुर। मामला ललितपुर के सदर कोतवाली क्षेत्र का है। जहां घंटाघर चौक पर बुजुर्ग दादा-दादी अपनी पोते के लिए आमरण अनशन पर बैठे हैं। बुजुर्ग दंपति मध्य प्रदेश के निवासी हैं, जो मनोहर चतुर्वेदी के नाम से जाने जाते हैं। ललितपुर में रह रही बेटी के खिलाफ अनशन पर बैठकर अपने पोते को पाना चाहते हैं।

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बुजुर्ग दंपति ने अपनी ही बेटी पर अपने ही पोते को बंधक बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि वह हमारी संपत्ति हड़पने के उद्देश्य से पोते को पढ़ने-लिखने के लिए अपने घर ले गई थी। 3 साल बाद भी पोते को बंधक बनाकर अपने पास रखे हुए हैं। वह न मिलने देती है एवं न ही हमारे घर भेजती है।

बुजुर्ग दंपति ने कहा कि शासन प्रशासन से कई बार शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। बुजुर्ग मनोहर चतुर्वेदी ने बताया कि वह राजनीतिक फोटो खिंचवाकर प्रशासन को भय दिखाकर प्रशासनिक कार्रवाई को प्रभावित करने का कार्य करती है। कहा कि बेटी भाजपा नेत्री है। मनोहर चतुर्वेदी ने बताया कि उनकी बेटी कोरोना काल में पोते को पढ़ाने के बहाने घर ले आई थी।

कहा था कि इसको ललितपुर में रखकर पढ़ाएंगे लेकिन उसकी नीयत कुछ और ही थी। कुछ समय बाद जब उसके घर अपने पोते को लेने पहुंचे तो पोते के बदले में चांदमारी मोहल्ले में पड़े प्लाट को अपने नाम करवाने की बात कही। उसकी भी रजिस्ट्री हमने भाजपा नेत्री बेटी रानी दुबे के नाम कर दी। इसके बाद भी रानी दुबे की नियत नहीं बदली।

पोते को वापस करने के बदले पूरी चल-अचल संपत्ति की रजिस्ट्री करने की रख दी शर्त 

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कहा कि बाद में पोते को वापस करने के बदले पूरी चल-अचल संपत्ति की रजिस्ट्री करने की शर्त रख दी। लेकिन अभी तक मेरा पोता हमें वापस नहीं मिला। शिकायती पत्र देने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि बुजुर्ग दंपति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जनसुनवाई पोर्टल पर भी शिकायत की है। इसके बाद भी न्याय न मिलने के कारण दोनों को घंटाघर चौक पर आमरण अनशन के लिए बैठना पड़ा।

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