कन्नौज में कई ऐसे प्राचीन धार्मिक स्थल है जो विश्वविख्यात हैं। गौरीशंकर मंदिर, माता फूलमती मंदिर, तिर्वा का अन्नपूर्णा मंदिर हो या फिर कन्नौज की सीमा में दाखिल होते ही प्राचीन माता दुर्गा काली मंदिर हो।
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कन्नौज। कन्नौज में कई ऐसे प्राचीन धार्मिक स्थल है जो विश्वविख्यात हैं। गौरीशंकर मंदिर, माता फूलमती मंदिर, तिर्वा का अन्नपूर्णा मंदिर हो या फिर कन्नौज की सीमा में दाखिल होते ही प्राचीन माता दुर्गा काली मंदिर हो।
दुर्गा काली मंदिर की कई प्रतिमाएं तो ऐसी हैं जो अति प्राचीन हैं। दावा यह भी किया जाता है कि नवी शताब्दी की यह प्रतिमाएं यहां पर हैं, जो अपने आप में बहुत ही दिव्य और अद्भुत है। मुख्य प्रतिमा ऐसी है जो दिन में अपना स्वरूप करीब तीन बार बदलती है।
नवीं शताब्दी के समय की हैं प्रतिमाएं
मंदिर के महंत ने बताया कि करीब 26 साल पहले यहां पर जांच की गई थी तो पता चला कि यह प्रतिमाएं बहुत ही प्राचीन हैं। नवीं शताब्दी के समय यह प्रतिमाएं बनाई गई थी। जिसमें गणेशजी की प्रतिमा है। दो माता की प्रतिमा ऐसी है जिसमें वह अद्भुत तरीके से फूल और सिंह पर विराजमान हैं। पूरे पत्थर में गढ़ी हुई यह प्रतिमाएं बहुत ही अलौकिक और बिल्कुल ही अलग दिखाई देती हैं।
कन्नौज की सीमा में दाखिल होते ही सबसे पहले आपको सबसे पुराना और प्राचीन मंदिर माता दुर्गा काली मंदिर ही मिलेगा। सदर क्षेत्र के अंधा मोड़ स्थित जीटी रोड से करीब डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर यह मंदिर बना हुआ है। वैसे तो इस मंदिर में हमेशा ही श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है लेकिन नवरात्र में इस मंदिर की मान्यता बहुत खास हो जाती है। श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या यहां पर दिखाई देती है। आम जनता से लेकर बड़े-बड़े राजनेता भी यहां पर माता के मंदिर में माथा टेकने आते हैं।
मंदिर के महंत बोले- हर मनोकामना पूरी करती हैं माता
मंदिर के पुजारी स्वामी अखंडानंद महाराज ने बताया कि वह करीब 26 वर्ष से ज्यादा समय से इस मंदिर में सेवादार के रूप में हैं। इस मंदिर की प्रतिमाएं नवीं शताब्दी की हैं। इस मंदिर की महिमा की बात की जाए तो यहां पर जो भी भक्त सच्चे मन से सेवा करता है। उसकी माता हर मनोकामना पूरी करती हैं।
बताया कि ऐसे कई चमत्कार हुए हैं जिनमें माता ने अपना चमत्कार साक्षात दिखाया है। एक बार एक पुलिसकर्मी यहां पर बाहर से सुरक्षा में आया था। उसकी संतान नहीं हो रही थी।
इसके बाद उसने माता से प्रार्थना की और वह यहां से चला गया। एक से डेढ़ वर्ष के भीतर ही उसकी मनोकामना पूरी हुई और वह सपरिवार माता के मंदिर में पूजा-अर्चना करने हर साल आने लगा। ऐसे ही अनेक किस्से हैं। जिससे माता के चमत्कार और कृपा लोगों को हमेशा मिला करते हैं।
वहीं माता की प्रतिमा की बात की जाए तो मुख्य दुर्गा काली प्रतिमा का स्वरूप सुबह 4:00 बजे कन्या के रूप में दिखाई देता है तो वहीं दोपहर होते-होते यह स्वरूप बिल्कुल साधारण महिला की तरह हो जाता है। वहीं रात्रि के समय यह रूप काली जैसा प्रतीत होता है। ऐसे में यहां पर यह प्रतिमा दिन में तीन बार चमत्कारी तरीके से अपना स्वरूप बदलती है। नवरात्र में यहां पर भक्तों का तांता सुबह से शाम तक लगा रहता है।