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शिवपाल और आजम खान की मुलाकात यूपी में ला सकती है सियासी संग्राम, प्रदेश का राजनीतिक माहौल हुआ गर्म

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के प्रमुख शिवपाल सिंह ने बीते दिनों सपा के बड़े नेता माने जाने वाले आजम खान से सीतापुर जेल में मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद अन्य पार्टियों के नेता भी आजम खान से मिलने जेल पहुंचने लगे।

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

उत्तर प्रदेश, 26 अप्रैल 2022 । यूपी की सियासत देश की राजनीति में अहम रोल अदा करती है और इस प्रदेश के सियासी समीकरण समय-समय पर बदलते रहते हैं। इन दिनों उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया है। प्रदेश में भाजपा के बाद दूसरी सबसे मजबूत पार्टी सपा की मुश्किलें बढ़ने लगी है। दरअसल प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के प्रमुख शिवपाल सिंह ने बीते दिनों सपा के बड़े नेता माने जाने वाले आजम खान से सीतापुर जेल में मुलाकात की। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व उनके चाचा शिवपाल के बीच की दूरियां जग जाहिर है। शिवपाल यादव व आजम खान की मुलाकात से यूपी की सियासत गर्म हो गई है। सियासी जानकारों का मानना है कि शिवपाल यादव अब यूपी की राजनीति को एक नई दिशा देने के कार्य में जुट गए हैं। ऐसे में उनके भाजपा में जाने की खबरों पर विराम लग गया है और समीकरण ये बता रहे हैं कि वो सपा अध्यक्ष अखिलेश को चित करने की कोशिश में लग गए हैं।

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आजम खान और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच नाराजगी की बात सामने आने पर सभी राजनैतिक दल उनको अपनी पार्टी में शामिल करने की कोशिशों में जुट गए हैं। इस नाराजगी से प्रदेश की राजनीति ने एक नया मोड़ ले लिया है। आजम खान से कल्कि पीठाधीश्वर और प्रियंका गांधी के सलाहकार आचार्य प्रमोद कृष्णम की मुलाकात की खबरों ने प्रदेश के राजनीतिक तापमान को बढ़ा दिया है।

आजम से मिलने क्‍यों जेल गए थे श‍िवपाल? 

आजम खान और प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव की मुलाकात से साफ हो गया है कि शिवपाल यादव चाहते हैं कि आजम खान सपा से निकलकर प्रसपा को नई दिशा दें। इसके बदले शिवपाल यादव यूपी के मुख्यमंत्री से बात कर उन्हें जेल से बाहर निकालने का पूरा प्रयास करेंगे। फिलहाल उनके इस कदम से ये प्रतीत होता है कि वह अभी भाजपा या किसी अन्य पार्टी में जाने के बजाय खुद की पार्टी को ही मजबूती प्रदान करने में सक्रियता से जुट गये हैं। इसी वजह से उन्होंने यूपी में सपा के मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए आजम खान को अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए जेल में उनसे मुलाकात की। यूपी के चुनावी समीकरणों की बात करें तो प्रदेश में करीब 45 फीसदी वोट ओबीसी के पास हैं, जबकि यादव वोट इसमें करीब 9 फीसदी हैं। यदि इन दोनों को जोड़ दिया जाए तो किसी भी पार्टी को प्रदेश में आसानी से मजबूती मिल सकती है।

26 महीनों में केवल एक बार मिले अखिलेश यादव

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सीतापुर की जेल में आजम खान को करीब 26 माह बीत चुके हैं। इस दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव केवल एक बार ही उनसे मिलने जेल पहुंचे। जब आजम खान के समर्थकों ने सपा से इस्तीफा देना शुरू किया तब पार्टी ने उनकी सुध लेने पर विचार किया।

सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा आजम खां से मिलने रविवार जेल पहुंचे थे, लेकिन आजम खान ने उनसे मिलने से मना कर दिया। जानकारों का कहना है कि चुनाव में सपा की हार के बाद आजम खान के समर्थक भी सपा के विरोध में लामबंद हो चुके हैं। हाल ही में आजम खान के करीबी ने रामपुर में सपा के खिलाफ एक अहम बयान दिया था।

सपा के वोटबैंक में हो सकती है सेंधमारी

राजनीति के जानकारों का मानना है कि शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी से अलग होकर अपनी पार्टी बनाकर कोई खास असर नहीं डाल पाए। लेकिन आजम और शिवपाल अगर एक साथ आ जाएं तो ये दोनों एक-एक ग्यारह हो सकते हैं। इन दोनों के साथ आने पर सपा के वोटबैंक में सेंधमारी हो सकती है। शिवपाल यादव की यादव वोट बैंक खासतौर पर सपा के पुराने कार्यकर्ताओं में अच्छी पैठ है। वहीं दूसरी तरफ आजम खान भी उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के सबसे बड़े कद्दावर नेता के तौर पर जाने जाते हैं। ऐसे हालात में आजम-शिवपाल की जोड़ी समाजवादी पार्टी के मुस्लिम-यादव वोटबैंक को काफी नुकसान पहुंचा सकती है।

मुस्लिम, ओबीसी और दलित वोट सरकार बनाने का रखते हैं दम

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प्रदेश की राजनीति में यादव और मुस्लिम वोट बैंक राजनीतिक पार्टियों को जीतने की कुंजी माने जाते हैं। इस समीकरण के लिए कहा जाता है कि प्रदेश के इतिहास में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने इसी समीकरण से सीएम की सीट पर कब्जा किया था। इसके बाद इस समीकरण को बसपा सुप्रीमो मायावती ने दोहराने की कोशिश की, लेकिन उनको सफलता न मिली। इसके बाद मायावती ने प्रदेश में मुस्लिम व दलित के समीकरण को चलाते हुए अपनी जीत को सुनिश्चित किया था। यूपी में ओबीसी वोटरों की संख्या बहुत है। ऐसे में अल्पसंख्यक लोगों का वोट पाकर कोई भी पार्टी यूपी की सत्ता पा सकती है। अब शिवपाल यादव भी इसी समीकरण से प्रसपा को नई दिशा देने का काम कर रहे हैं।

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