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नवग्रह के कौन से रत्न हैं मनुष्य के लिए शुभ फलदायी ? जानें पूरी बात

By Rajni 

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नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु हैं। हर व्यक्ति की कुंडली में नवग्रह में से कोई न कोई ग्रह दोषपूर्ण होता है। जिसका अशुभ प्रभाव उसके जीवन पर पड़ता है।

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इन ग्रहों की अशुभ स्थिति के कारण कई प्रकार के शारीरिक कष्ट या रोग भी हो जाते हैं। नवग्रहों के दोषों को दूर करने के लिए उनके शुभ रत्न धारण करने का सुझाव दिया जाता है। ये रत्न अपने शुभ प्रभावों से ग्रह दोष को कम या खत्म कर देते हैं।

रत्न अनुकूल होता है तो उसे पहना जाता है, यदि वह आपके प्रतिकूल है तो उसे धारण नहीं करते हैं। नवग्र​ह के रत्न और उपरत्न होते हैं। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि रत्न काफी महंगे होते हैं, जिसे सभी लोग खरीदकर पहन नहीं सकते हैं। ऐसे में रत्नशास्त्र में नवग्रह के उपरत्नों के बारे में भी बताया गया है।

उपरत्न रत्न की तुलना में कम मूल्य के होते हैं, लेकिन उनका प्रभाव कम नहीं होता है। वे भी शुभ फल देते हैं और ग्रह दोष को दूर करने में सक्ष्म होते हैं। रत्न या उपरत्न धारण करने में सबसे बड़ी बात यह है कि वह पहनने वाले के अनुकूल होना चाहिए, तभी उसका परिणाम देखने को मिलेगा। आइए जानते हैं नवग्रह के रत्न और उपरत्न कौन से होते हैं?

नवग्रह के रत्न

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सूर्य का शुभ रत्न: माणिक्य

चंद्रमा का शुभ रत्न: मोती

मंगल का शुभ रत्न: मूंगा

बुध का शुभ रत्न: पन्ना

गुरु का शुभ रत्न: पुखराज

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शुक्र का शुभ रत्न: हीरा

शनि का शुभ रत्न: नीलम

राहू का शुभ रत्न: गोमेद

केतु का शुभ रत्न: लहसुनिया

नवग्रह के उपरत्न

सूर्य के शुभ उपरत्न: सूर्यकांत मणि, तामड़ा

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चंद्रमा का शुभ उपरत्न: चंद्रकांत मणि

मंगल के शुभ उपरत्न: लाल अकीक, संघ मूंगी, रतुआ

बुध के शुभ उपरत्न: मरगज, जबरजंद

गुरु के शुभ उपरत्न: सुनेला या सोनल

शुक्र के शुभ उपरत्न: कुरंगी, तुरमली, दतला

शनि के शुभ उपरत्न: काला अकीक, जमुनिया नीली, लाजवर्त

राहू के शुभ उपरत्न: भारतीय गोमेद, साफी, तुरसा

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केतु के शुभ उपरत्न: फिरोजा, संघीय, गोदंत

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