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मुफलिसी की भेंट चढ़ा एक और पिता, बच्चों के शौक पूरे न कर पाने के गम में पिता ने लगाई फांसी

रक्षाबंधन पर बच्चों ने मांगी मिठाई, नहीं दिला सका पिता तो बेबसी में कर ली खुदकुशी। आर्थिक तंगी के चलते बच्चों के शौक पूरे न कर पाने के गम में पिता ने लगाया मौत को गले। रक्षाबंधन पर बच्चों और पत्नी के लिए नहीं ला पाया मिठाई। गरीबी के चलते फांसी लगाकर दे दी जान।

By Rakesh 

Updated Date

हरदोई। रक्षाबंधन पर बच्चों ने मांगी मिठाई, नहीं दिला सका पिता तो बेबसी में कर ली खुदकुशी। आर्थिक तंगी के चलते बच्चों के शौक पूरे न कर पाने के गम में पिता ने लगाया मौत को गले। रक्षाबंधन पर बच्चों और पत्नी के लिए नहीं ला पाया मिठाई। गरीबी के चलते फांसी लगाकर दे दी जान। गरीबी और आर्थिक तंगी के बाद भी अब तक नहीं मिला था कोई भी सरकारी लाभ। राशन कार्ड, आवास, शौचालय  भी नहीं था उसके पास। झोपड़ी में तीन बच्चों और पत्नी के साथ करता था गुजारा।

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हरदोई में पिता की बेबसी का एक मामला अभी ठंढा भी नहीं पड़ा था कि हरियावां थाना क्षेत्र में मुफलिसी का शिकार एक और पिता फांसी के फंदे पर लटक गया। हरियावां थाना क्षेत्र के कायमपुर गांव में गुरुवार को रक्षाबंधन के दिन बच्चों ने मिठाई लेने की जिद की, लेकिन मुफलिसी के चलते पिता रुपये न होने के कारण जिद पूरी नहीं कर सका।

त्योहार पर बच्चे की छोटी सी जिद पूरी न कर पाने से दुखी पिता ने घर से 200 मीटर दूर एक पेड़ में रस्सी से फंदा लगाकर कर जान दे दी। अभी कुछ रोज पहले ही अरवल थाना क्षेत्र में भी ऐसी ही घटना सामने आई थी। जहां बाढ़ प्रभावित इलाके में 3 दिन से अपने बच्चों को भोजन न दे सके पिता ने भुखमरी की कगार पर पहुंचने के बाद फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

ताजा मामला हरियावां थाना क्षेत्र के कायमपुर गांव का है। जहां के निवासी 30 वर्षीय शैलेंद्र के दो पुत्र राहुल, अंशुमान व पुत्री नीलम है। पत्नी सियादेवी ने बताया कि रक्षाबंधन पर बच्चे पिता से मिठाई लाने की जिद कर रहे थे, लेकिन शैलेंद्र के पास रुपए नहीं थे। वह मजदूरी करता था लेकिन शैलेंद्र को कई दिनों से काम भी नहीं मिला था। वह आर्थिक तंगी से काफी परेशान था।

बच्चों की मांग पूरी न कर पाने से क्षुब्ध होकर शैलेंद्र ने घर से करीब 200 मीटर दूर खेत में खड़े नीम के पेड़ में रस्सी के फंदे से लटककर कर जान दे दी। शैलेंद्र के पिता दयाराम के नाम भैंसटा नदी के किनारे मात्र डेढ़ बीघा खेत है। जिसमें मनोहर, शैलेंद्र व रामसुमिरन तीन भाई हिस्सेदार हैं। वहीं बरसात में खेत पानी में डूब गया था। शैलेंद्र के पास राशन कार्ड तक नहीं था। जिसकी वजह से उसे सरकारी राशन मिल पाना भी कठिन था। इतना ही नही शैलेन्द्र के पास सिर छुपाने के लिये पक्की छत भी नहीं थी।

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मृतक को नहीं मिली थी कोई सरकारी सुविधा, बच्चों और पत्नी के साथ एक झोपड़ी में करता था गुजारा

आर्थिक तंगी से परेशान शैलेन्द्र बच्चों और पत्नी के साथ एक झोपड़ी में ही गुजारा करता था। आर्थिक तंगी से जुझ रहे युवक को एक भी सरकारी सुविधा न मिल पाने के कारण प्रशासन से नाराज परिजनों व ग्रामीणों ने गांव के बाहर शव रख कर अन्तिम संस्कार करने से भी इनकार कर दिया और विरोध जताया।

मृतक के परिजन और ग्रामीण युवक के दुधमुंहे बच्चों व पत्नी के जीवन यापन के लिए कुछ सरकारी सहूलतों की मांग करने लगे। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची हरियावां पुलिस व नायब तहसीलदार राकेश कुमार वर्मा ने ग्रामीणों को मृतक की पत्नी के नाम आवास व सरकारी भूमि मे पट्टा करवाने का आश्वासन देकर समझाया जिसके बाद अन्तिम संस्कार किया गया।

मौके पर पहुंचे थानाध्यक्ष धर्मेन्द्र गुप्ता व नायब  तहसीलदार राजेश कुमार वर्मा ने मृतक की पत्नी को 5-5 हज़ार रुपये देकर आर्थिक सहयोग किया व किए गए वादों को जल्द से जल्द पूरा करने का आश्वासन भी दिया।

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