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गुजरात पुल हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 141 हुई, नहीं था फिटनेस सर्टिफिकेट, मरम्‍मत के एक सप्‍ताह बाद ही हुई घटना

मोरबी का मुजरिम कौन? यह सवाल तब उठा जब पता चला की पुल का नहीं था फिटनेस सर्टिफिकेटब और मरम्‍मत के एक सप्‍ताह बाद ही हुई घटना।

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

How Morbi Cable Bridge Collapsed: घंटों तक चले रेस्क्यू के बाद मरने वालों की संख्या बढ़कर 141 हुई। गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बना 143 साल सदियों पुराना केबल पुल रविवार (30 अक्टूबर) को शाम करीब छह बजे टूट गया. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस दर्दनाक हादसे में पुल पे 500 से ज्यादा सवार थे. गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने कहा है कि 132 लोगों की मौत हुई है. पीड़ित परिवारों को 6-6 लाख मुआवजे का एलान हुआ है.

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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अब तक 177 लोगों को बचाया जा चुका है. 19 लोगों का इलाज चल रहा है. सेना, नौसेना, वायुसेना, एनडीआरएफ और फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर सर्च ऑपरेशन चला रही है. गुजरात पुलिस की मरीन टास्क फोर्स ने रातभर मच्छु नदी में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया. पुल की मरम्मत के काम में आठ करोड़ रुपये खर्च हुए. मरम्‍मत के एक सप्‍ताह बाद ही हुई घटना। हादसे के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।

मोरबी का मुजरिम कौन? पुल हादसे को लेकर उठ रहे है सवाल

पुल की क्षमता करीब 100 लोगों की थी लेकिन 400 से ज्यादा लोग उस पर पहुंच गए. इतने लोगों का भार पुल नहीं सह पाया. अचानक पुल पर इतनी भीड़ कहां से आ गई?

पुल पर पहुंचे लोगों को रोका क्यों नहीं गया?

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जानकारी के अनुसार, एक निजी कंपनी ने सात महीने तक पुल की मरम्मत का कार्य किया लेकिन नगरपालिका से फिटनेस प्रमाणपत्र मिले बिना ही हादसे से चार दिन पहले जनता के लिए खोल दिया गया. आखिर बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के पुल को क्यों खोला गया?

चश्मदीदों के मुताबिक, पुल खोले जाने पर कर्मचारियों का ध्यान भीड़ पर नहीं था, वे ज्यादा से ज्यादा टिकट बेचने में लगे थे. क्या केवल मुनाफे के लिए कंपनी ने क्षमता से ज्यादा टिकट बेचे?

कंपनी को दोबारा पुल खोलने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिला था. इसके बाद भी पुल खोलने का जोखिम क्यों लिया गया?
राहत-बचाव में लगीं तीनों सेनाएं

मोरबी पुल हादसे ने पुरे देश को हिला दिया है. हादसे के बाद राहत बचाव का कार्य जारी है. इस काम में तीनों सेनाओं ने मोर्चा संभाला है. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें पहले से राहत-बचाव के काम में लगी हैं. गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं. सीएम पटेल ने मोरबी सिविल अस्पताल में भर्ती घायलों से भी मुलाकात कर हालचाल जाना.

गुजरात के गृह मंत्री ने दी यह जानकारी

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गृह मंत्री हर्ष संघवी सोमवार (31 अक्टूबर) को तड़के ही मौके पर जायजा लेने पहुंच गए. हर्ष संंघवी ने कहा, ”नेवी, एनडीआरएफ, वायुसेना और सेना तुरंत पहुंची. 200 से ज्यादा लोगों ने रातभर राहत-बचाव का काम किया. एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया है. आईजीपी के नेतृत्व में जांच शुरू हो गई है. अब तक 132 लोगों की मौत हुई है. सीएम ने कल ही एक हाई पावर कमेटी का गठन किया है. विभिन्न स्थानों पर तैनात सभी अधिकारियों को रात में दो बजे तक मोरबी में रिपोर्ट करने को कहा गया था.” बता दें कि प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सीएम भूपेंद्र पटेल और गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी से रेस्क्यू रिपोर्ट ली जा रही है.

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