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Mining Lease Case : सीएम हेमंत सोरेन के वकीलों ने फिर मांगा समय, आयोग ने जताई नाराजगी, 14 जुलाई को सोरेन EC के सामने रखेंगे पक्ष

खनन पट्टा लीज मामले में 14 जुलाई को सीएम हेमंत सोरेन EC के सामने रखेंगे पक्ष, मिला समय।

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

रांची, 28 जून। मंगलवार को पत्थर खनन लीज मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के वकीलों ने भारत निर्वाचन आयोग से और समय मांगा है। जिसपर चुनाव आयोग ने नाराजगी जताई है। मिली जानकारी के मुताबिक साढ़े 3 घंटे से भी ज्यादा वक्त तक चली सुनवाई के बाद आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 14 जुलाई तक का समय दिया है।

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CM सोरेन ने खुद के नाम पर माइनिंग लीज ली- BJP

BJP के लिए वरीय अधिवक्ता मनिंदर सिंह और सिद्धार्थ दवे ने आयोग के सामने पक्ष रखा। वरीय अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा और मेन्द्री दत्ता ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से कमीशन के सामने पक्ष रखा। बीजेपी की ओर से कमीशन को बताया गया कि हेमंत सोरेन ने विभागीय मंत्री रहते हुए खुद के नाम पर माइनिंग लीज ली। इसके लिए बजरंग बहादुर केस का हवाला भी दिया गया।

अगली तारीख पर सीएम या उनका वकील खुद पक्ष रखे- आयोग

पिछली सुनवाई के दौरान आयोग ने सीएम हेमंत सोरेन के आग्रह को स्वीकार करते हुए उनसे जुड़े मामले की सुनवाई के लिए 28 जून की तारीख़ निर्धारित की थी। आयोग ने इन्हें जवाब देने के लिए आखिरी मौका दिया था। हालांकि आयोग ने ये भी कहा है कि अगली तारीख को वो खुद या वकील के माध्यम से पक्ष रखें, नहीं तो उनकी ओर से जो लिखित जवाब सौंपा गया है, उसी के आधार पर फैसला लिया जाएगा।

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बीजेपी ने की थी चुनाव आयोग से शिकायत

गौरतलब है कि इस मामले की शिकायत झारखंड के बीजेपी नेताओं ने चुनाव आयोग से की थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नोटिस का जवाब देने को कहा था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पूर्व में नोटिस का जवाब दे चुके हैं। झारखंड प्रदेश बीजेपी की तरफ से लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9A के तहत मुख्यमंत्री को विधायकी से अयोग्य ठहराने के लिये राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया था।

CM सोरेन को 2 बार मिला मौका

बतादें कि 14 जून को आयोग ने साफ किया था कि अब सुनवाई नहीं टाली जा सकती है। इससे पहले भी हेमंत सोरेन को आयोग की ओर से पक्ष रखने के लिए दो बार समय दिया गया था। मुख्यमंत्री ने वकील के कोरोना पॉजिटिव होने का हवाला देते हुए दिल्ली स्थित निर्वाचन आयोग के समक्ष पेश होने के लिए और अधिक समय मांगा था। आयोग ने 14 जून को आग्रह स्वीकार करते हुए 14 दिनों का समय दिया था।

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