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यूपी का कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांडः सजा हुई माफ, रिहा होंगे अमरमणि और मधुमणि त्रिपाठी

By Rakesh 

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लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक नहीं लगाई है। न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कवयित्री की बहन निधि शुक्ला की याचिका पर राज्य सरकार, अमरमणि और उनकी पत्नी को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।

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अब गोरखपुर की जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अमरमणि और मधुमणि दोनों शुक्रवार को जेल से बाहर आ जाएंगे। गुरुवार रात मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई के आदेश कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग ने जारी किए। रिहाई के आदेश पर कवयित्री की बहन निधि ने रोते हुए कहा कि 20 साल से दौड़ रहे हैं।

निधि ने कहा कि सीबीआई, सीबीसीआईडी, सेशन कोर्ट, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट सब कुछ हो गया। आज तक न्याय नहीं मिला। कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी, लेकिन सरकार कभी भी अमरमणि को जेल ही नहीं भेज पाई। अमरमणि और उनकी पत्नी की समय से पहले रिहाई होगी। रिहाई का शासनादेश उनके अच्छे आचरण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जारी किया गया है।

दरअसल, 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का आदेश पारित किया। इसमें लिखा है कि उनकी उम्र 66 साल होने, करीब 20 साल तक जेल में रहने और अच्छे आचरण को देखते हुए किसी अन्य वाद में शामिल न हो तो रिहाई कर दी जाए।

देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में नैनीताल उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने दंपति की सजा को बरकरार रखा था। मामले की जांच सीबीआई ने की थी।

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कवयित्री से अफेयर, प्रेग्नेंट फिर हत्या, खत्म हो गया राजनीतिक करियर

कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या में नाम आने के बाद अमरमणि त्रिपाठी का राजनीतिक सफर खत्म हो गया। लखीमपुर की कवयित्री मधुमिता वीर रस की कविताएं पढ़ती थीं। अमरमणि संपर्क में आए तो उनका नाम बड़ा हो गया। मंच से मिली शोहरत और सत्ता से नजदीकी ने उन्हें काफी ताकतवर बना दिया।

इस दौरान अमरमणि त्रिपाठी से उनका रिश्ता प्रेम में बदल गया। मधुमिता प्रेग्नेंट हो गई। उस पर गर्भपात करवाने का दबाव बढ़ा पर उसने नहीं करवाया। लखनऊ में निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 को 7 महीने की गर्भवती कवयित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्याकांड के वक्त बसपा की सरकार थी और अमरमणि कैबिनेट मंत्री थे।

हत्याकांड से यूपी की राजनीति में आ गया था भूचाल

इस हत्याकांड से उत्तर प्रदेश में सियासी भूचाल आ गया था। मधुमिता के परिवार की तरफ से दाखिल एफआईआर में अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी, भतीजे रोहितमणि त्रिपाठी, संतोष राय और पवन पांडे को आरोपी बनाया गया था। प्रदेश में बसपा की सरकार थी और अमरमणि त्रिपाठी कैबिनेट मंत्री थे।

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सजा दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी मधुमिता की बहन

अमरमणि को सजा दिलाने के लिए मधुमिता की बहन सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। उन्होंने याचिका दायर करते हुए केस को लखनऊ से दिल्ली या तमिलनाडु ट्रांसफर करने की अपील की थी। कोर्ट ने 2005 में केस को उत्तराखंड ट्रांसफर कर दिया। 24 अक्टूबर 2007 को देहरादून सेशन कोर्ट ने पांचों लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई। अमरमणि त्रिपाठी नैनीताल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन सजा बरकरार रही।

सत्ता बदलती रही, लेकिन कायम रहा रसूख

कौन थीं मधुमिता शुक्ला

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