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आजम खान की विधानसभा सदस्यता रद्द, सतीश महाना ने रद्द की सदस्यता, पढ़ें

विधानसभा चुनाव के बाद सपा की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। दरअसल पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है पहले उनके गठबंधन के सहयोगी ओमप्रकाश राजभर पार्टी का साथ छोड़कर चले गए थे। वहीं अब आजम खान की विधायकी जाने के बाद पार्टी को और भी नुकसान झलना पड़ रहा है। लोग इस बात की इंदा कर रहा है सपा के मुस्लिम चेहरे के रूप में जाने जाते हैं आजम खान सपा नेता आजम खान की विधायकी जाने के बाद सपा के सामने कई मुश्किलें खड़ी होने के असार है। पश्चिमी यूपी की मुस्लिम सीटों पर उनका प्रभाव तगड़ा रहता है। उस इलाके में यह पार्टी के बड़े चेहरे के रूप में जाने जाते है। हाल में होने वाले निकाय चुनाव की तैयारियों में लगी सपा के लिए एक बड़ा झटका है। आजम खान का अनुभव पार्टी के लिए बेहद जरूरी ऐसा कहा जाता है कि आजम खान का लम्बा राजनीतिक अनुभव सपा के लिए मानए रखता है। वह मुलायम के कतार के नेता हैं। वह दस बार विधायक रहे हैं। उन्हें संसद के दोनों सदनों का ज्ञान है, जो पार्टी के लिए काफी महत्व रखता है। वह प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल सपा के मजबूत स्तंभ रहे हैं। अपनी तकरीरों, दलीलों के माध्यम सत्ता पक्ष निरुत्तर करने का माद्दा रखते हैं। विधानसभा चुनावों में आजम खान के इलाके में सपा गठबंधन ने जीती थीं कई सीटें सपा के एक नेता का कहना है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भले ही सपा को सत्ता न मिली हो, लेकिन रामपुर व आसपास के जिलों में सपा ने कई सीटें जीतीं। माना जाता है कि आजम खान की सियासत ने इस क्षेत्र में सपा को खास तौर पर बढ़त दिलाई। रामपुर जिले की ही पांच में से तीन सीटों पर सपा को विजय मिली थी। आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम दोनों ही चुनाव जीते। उधर, निकट के मुरादाबाद जिले में भी सपा ने पांच सीटें जीती। भाजपा को महज एक सीट ही मिल सकी। संभल में भी चार में से तीन सीटों पर सपा ने कब्जा जमाया। पश्चिमी उप्र में सपा-रालोद गठबंधन को 40 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

By आकृति 

Updated Date

विधानसभा चुनाव के बाद सपा की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। दरअसल पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है पहले उनके गठबंधन के सहयोगी ओमप्रकाश राजभर पार्टी का साथ छोड़कर चले गए थे। वहीं अब आजम खान की विधायकी जाने के बाद पार्टी को और भी नुकसान झलना पड़ रहा है। लोग इस बात की इंदा कर रहा है

पढ़ें :- अगस्त क्रांति पर सियासी क्रांति, सपा - बीजेपी में जारी सियासी युद्ध

सपा के मुस्लिम चेहरे के रूप में जाने जाते हैं आजम खान

सपा नेता आजम खान की विधायकी जाने के बाद सपा के सामने कई मुश्किलें खड़ी होने के असार है। पश्चिमी यूपी की मुस्लिम सीटों पर उनका प्रभाव तगड़ा रहता है। उस इलाके में यह पार्टी के बड़े चेहरे के रूप में जाने जाते है। हाल में होने वाले निकाय चुनाव की तैयारियों में लगी सपा के लिए एक बड़ा झटका है।

आजम खान का अनुभव पार्टी के लिए बेहद जरूरी

ऐसा कहा जाता है कि आजम खान का लम्बा राजनीतिक अनुभव सपा के लिए मानए रखता है। वह मुलायम के कतार के नेता हैं। वह दस बार विधायक रहे हैं। उन्हें संसद के दोनों सदनों का ज्ञान है, जो पार्टी के लिए काफी महत्व रखता है। वह प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल सपा के मजबूत स्तंभ रहे हैं। अपनी तकरीरों, दलीलों के माध्यम सत्ता पक्ष निरुत्तर करने का माद्दा रखते हैं।

पढ़ें :- दोषी करारः आजम खां की मुश्किलें बढ़ीं, हेट स्पीच मामले में दो साल की कैद

विधानसभा चुनावों में आजम खान के इलाके में सपा गठबंधन ने जीती थीं कई सीटें

सपा के एक नेता का कहना है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भले ही सपा को सत्ता न मिली हो, लेकिन रामपुर व आसपास के जिलों में सपा ने कई सीटें जीतीं। माना जाता है कि आजम खान की सियासत ने इस क्षेत्र में सपा को खास तौर पर बढ़त दिलाई। रामपुर जिले की ही पांच में से तीन सीटों पर सपा को विजय मिली थी। आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम दोनों ही चुनाव जीते। उधर, निकट के मुरादाबाद जिले में भी सपा ने पांच सीटें जीती। भाजपा को महज एक सीट ही मिल सकी। संभल में भी चार में से तीन सीटों पर सपा ने कब्जा जमाया। पश्चिमी उप्र में सपा-रालोद गठबंधन को 40 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

 

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