दिल्ली हाईकोर्ट ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना के दिल्ली असेंबली रिसर्च फेलो को हटाने संबंधी आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही आदेश दिया है कि दिल्ली असेंबली रिसर्च फेलो अपने पदों पर बने रहेंगे।
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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना के दिल्ली असेंबली रिसर्च फेलो को हटाने संबंधी आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही आदेश दिया है कि दिल्ली असेंबली रिसर्च फेलो अपने पदों पर बने रहेंगे।
इसके बाद आम आदमी पार्टी ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश से साफ हो गया है कि एलजी मनमाने तरीके से शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। दिल्ली दादागिरी से नहीं चलेगी बल्कि कानून और संविधान से चलेगी। दिल्ली असेंबली रिसर्च फेलो के अनुबंध 5 जुलाई को उप राज्यपाल वीके सक्सेना के आदेश पर समाप्त कर दिए गए थे।
दिल्ली विधान सभा सचिवालय, सर्विसेज और वित्त विभाग को दो सप्ताह के भीतर पक्ष रखने का आदेश
इसके बाद 17 फेलो ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। इसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को आदेश दिया है कि दिल्ली असेंबली रिसर्च फेलो के रूप में लगे प्रोफेशनल अपने पदों पर बने रहेंगे। उन्हें स्टाइपेंड राशि दी जाएगी। अदालत ने फेलो की याचिका पर दिल्ली विधान सभा सचिवालय, सर्विसेज और वित्त विभाग को दो सप्ताह के भीतर पक्ष रखने का आदेश दिया है।
इस मामले पर आम आदमी पार्टी ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश से साफ हो गया है कि एलजी मनमाने तरीके से शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। एलजी का काम सिर्फ दिल्ली वालों को परेशान करना हैं। दिल्ली की चुनी हुई सरकार को काम करने से रोकना है। एलजी के पास कर्मचारियों को हटाने का अधिकार नहीं था। वह लगातार गैरकानूनी और संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि उनके स्टाइपेंड का भुगतान न करना और उनकी सेवाओं को बंद करना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और यह शक्ति का दुरुपयोग है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे दिल्ली असेंबली रिसर्च सेंटर में कार्यरत थे जो विधानसभा और अध्यक्ष के तत्वावधान में कार्य करता है।
फेलोशिप के लिए 2900 लोगों ने किया था आवेदन
सेवा और वित्त विभाग द्वारा हस्तक्षेप शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन था। उनकी सेवाओं को इस तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है। चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायक ने कुछ आंकड़े भी पेश किए और कहा कि फेलोशिप के लिए 2900 लोगों ने आवेदन किया था। दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी ने आवेदकों के इंटरव्यू लिए जो रिसर्च फेलो थे। देश विदेश की यूनिवर्सिटी से पढ़कर आए लोगों की नियुक्ति की गई। फेलो को विधायकों और मंत्री के साथ अटैच किया गया था।