तो आखिरकार वो घडी आ गई जब घोसी के घमासान अपने क्लामेक्स पर पहुंच गया अब से मजह चंद घंटों के बाद यूपी के मऊ में घोसी विधानसभा सीट पर घोसी की आवाम अपने वोट की ताकत से बता देगी कि उसके मन में क्या मगर उससे पहले बीजेपी या सपा इतना ही नहीं चुनाव न लड़कर भी मायावती ने भी बड़ा दांव इस सियासी खेल में चल दिया है।
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मऊ। तो आखिरकार वो घडी आ गई जब घोसी के घमासान अपने क्लामेक्स पर पहुंच गया अब से मजह चंद घंटों के बाद यूपी के मऊ में घोसी विधानसभा सीट पर घोसी की आवाम अपने वोट की ताकत से बता देगी कि उसके मन में क्या मगर उससे पहले बीजेपी या सपा इतना ही नहीं चुनाव न लड़कर भी मायावती ने भी बड़ा दांव इस सियासी खेल में चल दिया है।
आलम ये है कि चुनाव से पहले ही आरोप-प्रत्यारोप अपने चरम पर पहुंच गया है. इस बार आरोपों का आधार ये लाल और पीली पर्चियां । जिन्हें आप स्क्रिन पर देख रहे हैं। माजरा क्या चलिए अब वो भी समझिए दरअसल समाजवादी पार्टी ने वोटिंग से पहले ही भारतीय जनता पार्टी पर चुनाव में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है।
बकयादा समाजवादी पार्टी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट शेयर की, जिसमें लिखा, और दावा किया कि ‘घोसी उपचुनाव में सत्ता का दुरुपयोग कर रही भाजपा सरकार! भाजपा सरकार घोसी में अपनी हार सामने देखकर बौखलाई हुई है। इसलिए पुलिस प्रशासन का गलत इस्तेमाल कर चुनाव में धांधली के उद्देश्य से समाजवादी पार्टी के पदाधिकारियों को रेड और यलो कार्ड जारी करवा रही है।
संज्ञान ले चुनाव आयोग.’ सपा ने कुछ रेड और यलो कार्ड की फोटो भी शेयर की है। सपा ने जो रेड और यलो कार्ड की फोटो शेयर की है. उस पर मऊ जनपद के प्रभारी निरीक्षक की मुहर लगी होने का दावा है। इन पर संबंधित नेता का नाम लिख है और कहा गया है कि, “आप विधानसभा 354 घोसी उपचुनाव 2023 में अपने क्रियाकला एवं गतिविधियों द्वारा व्यक्ति विशेष पार्टी विशेष के पक्ष में मतदान करने के लिए लोगों को उकसा व भड़का रहे हैं। दवाब बना रहे हैं, जिससे मतदान के दिन कोई भी अप्रिय घटना घटित हो सकती हैं।
जिससे शांति भंग होने की प्रबल संभावना है। अंत आपको सचेत किया जाता है कि मतदान के दिन अपना मतदान करने के उपरांत अपने घर पर रहें, और कोई ऐसा कार्य ने करें जिससे वोटिंग में कोई बाधा उत्पन्न हो. शांति भंग हो, अन्यथा आपके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।” वहीं उधर उपचुनाव में वोटिंग से पहले बसपा ने बड़ा सियासी दांव चल दिया है। क्योंकि बसपाई या तो घर बैठेंगे और यदि बूथ तक जाएंगे तो नोटा दबाएंगे।
बसपा के इस फैसले से घोसी के सियासी रण में हंगामे जैसी स्थिति है क्योंकि यहां 90 हजार से ज्यादा दलित वोटर हैं जो किसी भी चुनाव के नतीजो को प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं। इस सीट पर बसपा के वोटर बड़ी भूमिका में हैं। बीते तीन चुनाव के नतीजे बताते हैं कि करीब 90 हजार से ज्यादा दलित मतदाताओं वाली सीट पर बसपा की पकड़ अब भी मजबूत है। और मायावती अपने फैसले से ये सबूत भी देना चाहती है कि उसकी ताकत अभी भी कायम है।
वैसे 2022 में यहां बसपा प्रत्याशी वसीम इकबाल को 54,248 मत मिले थे। यानि घोसी विधानसभा उपचुनाव सपा और बीजेपी दोनों के लिए नाक का सवाल बना गया है. इसके साथ ही इसे 2024 से पहले NDA और I.N.D.I.A गठबंधन का लिटमस टेस्ट भी माना जा रहा है, ऐसे में दोनों पार्टियों ने यहां अपनी पूरी ताकत लगाई हुई है. दोनों तरफ से दिग्गज नेताओं ने जमीन पर उतरकर चुनाव प्रचार भी किया है। तो वहीं सीएम योगी से लेकर अखिलेश यादव तक ने जीत के लिए पसीना बहाया है यानि ये महज उपचुनाव भर नहीं है।