जोधपुर लोकसभा क्षेत्र जोधपुर और जैसलमेर के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनाया गया है. राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा नगर जोधपुर, यह कांग्रेस के दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह नगर भी है. हालांकि बीते 16 वर्षों में यहां लोकसभा के 4 चुनाव हुए हैं और इनमें से कांग्रेस मुश्किल से एक बार ही जीत पाई है. बाकी के तीनों चुनाव बीजेपी की झोली में गए हैं। जानते है इस सीट की सियासी गणित.
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जोधपुर लोकसभा सीट
इस बार भाजपा से जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कांग्रेस के करण सिंह उचियारड़ा में सीधी टक्कर है. जोधपुर शहर की विधानसभा में गजेंद्र सिंह शेखावत का मजबूत आधार है. वहीं करण सिंह उचियारड़ा ग्रामीण क्षेत्र की विधानसभाओं में मजबूत हैं. साल 2008 के परिसीमन के बाद यहां का जाट बहुल क्षेत्र पाली में चले जाने से यह सीट राजपूत बहुल हो गई है.
इसके अलावा इस सीट पर विश्नोई समाज का भी खासा प्रभाव है. जबकि कुछ इलाकों में मुस्लिम वोट निर्णायक हैं. साल 1952 में अस्तित्व में आई इस लोकसभा सीट पर स्वंतत्र प्रत्याशी जसवंत राज मेहता सांसद बने थे. जबकि 2014 और 2019 के चुनाव में लगातार दो बार जीतकर बीजेपी के गजेंद्र सिंह शेखावत यहां से सांसद बने.
राजस्थान के जोधपुर लोकसभा संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए चुनाव में कांग्रेस का दबदबा रहा है. इस सीट से राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत सर्वाधिक पांच बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं. जोधपुर अशोक गहलोत का गृह नगर है. यहां अब तक हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने सर्वाधिक आठ बार जीत दर्ज की जबकि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों ने पांच बार चुनाव जीता है.
इस बार इस सीट पर गजेंद्र सिंह शेखावत का मुकाबला कांग्रेस के करण सिंह उचियारड़ा से है. जबकि पिछले चुनाव में उन्होंने अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को करीब पौने तीन लाख मतों से चुनाव हराकर दूसरी बार संसद पहुंचे थे. इस बार वैभव गहलोत को जोधपुर से टिकट नहीं देकर उन्हें जालोर सिरोही लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया जा रहा है. इस बार के चुनावों में गजेंद्र सिंह शेखावत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम और केन्द्र सरकार की उपलब्धियों पर ही चुनाव लड़ा हैं, जबकि उचियारड़ा ने प्रदेश की पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की उपलब्धियों और कांग्रेस की नई पांच गारंटियो के साथ एक बार सेवा का मौका देने का आग्रह किया हैं.
जोधपुर लोकसभा सीट पर जहां भाजपा केन्द्र की मोदी सरकार की गारंटी के नाम पर चुनाव लड़ रही है तो वही कांग्रेस विकास को मुद्दा बना रही है. अब ये तो नतीजे ही बता पाएंगे की सुर्य नगरी में किसका भाग्य उदय होगा.