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मरुधरा का सबसे रोचक मुकाबला झालावाड़-बारां सीट पर , जाने सियासी गणित

झालावाड़-बांरा सीट की बात करें तो, इस सीट पर सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है.इस सीट पर सीधा मुकाबला पुर्व सीएम के बेटे और पुर्व मंत्री की पत्नी के बीच में है. जानते है इस सीट का सियासी गणित.

By Rajasthan Bureau@indiavoice.co.in 

Updated Date

झालावाड़ – बारां लोकसभा सीट

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साल 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई झालावाड़ – बारां लोकसभा सीट पर अब तक बीजेपी का कब्जा रहा है. यहां से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह लगातार तीन बार सांसद बने. झालावाड़ की चार और बारां जिले की चार विधानसभा सीटों को मिलाकर बने इस लोकसभा क्षेत्र पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का खासा प्रभाव माना जाता है. हालांकि इस सीट का मिथक तोड़ने के लिए कांग्रेस ने भी ऐड़ी चोटी का जोर लगाया है. विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र की आठ सीटों में से इकलौते खानपुर विधायक सुरेश गुर्जर ही कांग्रेस के टिकट पर चुने गए हैं. बाकी सभी विधायक बीजेपी के हैं. इसके चलते ही माना जाता है कि यह सीट बीजेपी की अपनी सीट है.

झालावाड़-बारां लोकसभा सीट को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का गढ़ माना जाता है. वे खुद यहां से 5 बार सांसद रही हैं. वहीं उनके बेटे और बीजेपी प्रत्याशी दुष्यंत सिंह यहां से 4 बार के सांसद हैं. पार्टी ने 5वीं बार यहां से उन्हें प्रत्याशी बनाया है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की गुडविल और उनके क्षेत्र में कराए गए कामों की बदौलत लोग उनके बेटे दुष्यंत सिंह को खुलकर समर्थन देते दिखाई दिए. वहीं कांग्रेस से पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन भाया इस सीट पर मैदान में उतरी हैं.

बारां जिले में भाया परिवार का दबदबा है. मंत्री रहते प्रमोद जैन भाया ने क्षेत्र में खूब काम करवाए थे, लेकिन उसका फायदा उन्हें विधानसभा चुनावों में भी नहीं मिला. वे अपनी सीट पर तो चुनाव हारे ही, वहीं शेष तीनों सीटें भी यहां से कांग्रेस हार गई थी. झालावाड़-बारां संसदीय क्षेत्र में कुल 8 विधानसभा सीटें आती हैं. जिसमें से 7 सीटें फिलहाल बीजेपी के पास हैं. केवल एक सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. इन तमाम समीकरणों के चलते इस संसदीय सीट पर बीजेपी के दुष्यंत सिंह मजबूत माने जा सकते हैं.

झालावाड़-बारां लोकसभा सीट को जीतने के लिए इस बार भी बीजेपी ने पुरा दम लगाया है. तो कांग्रेस ने एक बार फिर अपनी खोई प्रतिष्ठा वापस पाने की हर संभव कोशिश की है. कांटे की टक्कर में अब ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा की किसके सर बंधेगा जीत का सेहरा.

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