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UNSC : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नहीं हो सकी रूस की निंदा, रूस का वीटो, चीन-भारत रहे गैरहाजिर

भारत ने एक बार फिर बातचीत से ही रास्ता निकालने की बात कहते हुए मतदान से दूरी बनाई। भारत ने अफसोस जताते हुए कहा कि दोनों देशों ने कूटनीति का रास्ता जल्दी छोड़ दिया।

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

न्यूयार्क, 26 फरवरी। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ निंदा का प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। रूस ने मसौदा प्रस्ताव पर वीटो के अधिकार का इस्तेमाल कर निंदा और रूसी सुरक्षा बलों की तुंरत वापसी का प्रस्ताव पारित नहीं होने दिया। जबकि चीन और भारत मतदान से गैरहाजिर रहे। भारत ने बातचीत से ही समाधान निकलने की बात कहकर मतदान से दूरी बनाई।

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक

बतादें कि दो दिन पहले यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक बुलाई गई थी। बैठक के दौरान यूक्रेन में रूसी महासंघ के विशेष सैन्य अभियान की कठोर निंदा और रूसी सुरक्षा बलों की तुरंत वापसी के प्रस्ताव को पेश किया गया था। मतदान के दौरान प्रस्ताव को लेकर रूस ने अपने वीटो के अधिकार का प्रयोग कर दिया। इससे प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। अमेरिका और अल्बेनिया की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव के मसौदे में यूक्रेन पर रूसी आक्रामकता की कड़े शब्दों में निन्दा की गई। साथ ही आम नागरिकों के हताहत होने पर गंभीर चिन्ता जाहीर की गई।

सुरक्षा परिषद के 15 में से 11 सदस्य देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया

साथ ही रूस की ओर से यूक्रेन में ताकत के इस्तेमाल को तुरंत रोकने और यूक्रेन के क्षेत्र से सैन्य बलों की तत्काल बिना शर्त वापसी की अपील की गई। प्रस्ताव के मसौदे में सभी पक्षों से यूक्रेन में सभी जरूरतमंद लोगों तक त्वरित, सुरक्षित और निर्बाध ढंग से मानवीय राहत पहुंचाने के प्रयासों को संभव बनाने का भी आह्वान किया गया। प्रस्ताव में UN चार्टर के तहत यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति संकल्प को फिर से पुष्ट किया गया। सुरक्षा परिषद के 15 में से 11 सदस्य देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। जबकि रूस के वीटो से से प्रस्ताव पारित नहीं किया जा सका।

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दोनों देशों ने कूटनीति का रास्ता जल्दी छोड़ा- भारत

रूस सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य है और उसके मत को वीटो का दर्जा हासिल है। चीन, भारत और संयुक्त अरब अमीरात मतदान के दौरान गैरहाजिर रहे। भारत ने एक बार फिर बातचीत से ही रास्ता निकालने की बात कहते हुए मतदान से दूरी बनाई। भारत ने अफसोस जताते हुए कहा कि दोनों देशों ने कूटनीति का रास्ता जल्दी छोड़ दिया।

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