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संपन्न हुआ तीसरे चरण का मतदान, जानें 2017 विधानसभा के तीसरे चरण से कैसे अलग कैसे रहा ये चुनाव, अब क्या है सियासी माहौल

2017 में जब तीसरे चरण के लिए वोट पड़ रहे थे, उसी दिन चौथे चरण के चुनाव प्रचार में पीएम मोदी ने नई सियासी बहस छेड़ी थी।

By इंडिया वॉइस 

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उत्तर प्रदेश : राज्य में तीसरे चरण का चुनाव आज यानी 20 फरवरी को समाप्त हो गया है। इस चरण में 16 जिलों की 59 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले गए। तीसरे चरण के चुनाव में 627 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा। जिन जिलों में आज मतदान संपन्न हुआ उनमें हाथरस, फिरोजाबाद, एटा, कासगंज, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर नगर, जालौन, झांसी, हमीरपुर, ललितपुर और महोबा शामिल है। इन सभी सीटों को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। लेकिन पिछली बार भारतीय जनता पार्टी ने यहां अच्छा प्रदर्शन किया था 2017 के चुनाव में बीजेपी ने 59 में से 49 सीटों पर जीत हासिल की थी। समाजवादी पार्टी इनमें से सिर्फ 9 सीटों पर जीत पाई थी। जबकि कांग्रेस को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी, वहीं बीएसपी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी।

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इस चरण के प्रमुख उम्मीदवारों में सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव का नाम मौजूद है। मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री सतीश महाना कानपुर की महाराजपुर सीट, रामनरेश अग्निहोत्री मैनपुरी के भोगांव, नीलिमा कटियार कल्याणपुर से और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव, इटावा के जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

क्या है अखिलेश यादव की सीट का हाल ?

करहल विधानसभा सीट पर भी सबकी नजरें टिकी हुई हैं। यहां से समाजवादी पार्टी प्रमुख व सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं। इसी सीट से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री एस पी सिंह बघेल को मैदान में उतारा है। भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव आयोग से करहल के सभी बूथों पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग की थी। हालांकि यह सीट अखिलेश यादव के पारिवारिक गांव सैफई से सटी हुई सीट है। मुलायम सिंह यादव जिस लोकसभा से मौजूदा सांसद हैं करहल विधानसभा सीट उसी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है।

शिवपाल यादव का समीकरण

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शिवपाल यादव पर भी इस विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक विश्लेषकों का ध्यान है। शिवपाल यादव अपनी पारंपरिक सीट जसवंतनगर से चुनाव लड़ रहे हैं। सीट पर अधिकतर बार मुलायम सिंह के कुनबे का ही कब्जा रहा है। 1980 में सिर्फ एक बार कांग्रेस यहां से जीती थी। और 1996 के बाद से लगातार शिवपाल यादव की वहां से विधायक चुने जाते रहे हैं। भाजपा ने इस सीट पर विवेक शाक्य को शिवपाल के सामने खड़ा किया है।

क्या थे तीसरे चरण के अहम मुद्दे ?

यह चुनाव यादव बेल्ट में था लिहाजा इसका समीकरण भी अलग बनाया गया था। सत्तारूढ़ बीजेपी सपा को जातिवाद और परिवारवाद के मुद्दे पर घेर रही थी। 2017 में जब तीसरे चरण के लिए वोट पड़ रहे थे, उसी दिन चौथे चरण के चुनाव प्रचार में पीएम मोदी ने नई सियासी बहस छेड़ी थी। पीएम ने कहा था रमजान में बिजली आती है तो दिवाली में भी आनी चाहिए, अगर कब्रिस्तान है तो शमशान भी होना चाहिए उन्होंने कहा कि यहां किसी को किसी का हक नहीं मिलता। कुछ परिवारों को मिलता है। इस चुनाव में कैराना पलायन को लेकर खूब सियासी भी चर्चाएं हुई लेकिन बुंदेलखंड में पलायन एक जमीनी हकीकत के रूप में है। वही जल और रोजगार के भी मुख्य सवाल हैं, आवारा पशुओं से किसानों की फसलों का बर्बाद होना और प्राकृतिक संपदा भी बुंदेलखंड का अहम चुनावी मुद्दा है। वहीं हाथरस को लेकर भी इस चुनाव में खूब भाषण बाजियां हुई हैं। सपा इस को लेकर भाजपा पर लगातार सवाल खड़े करती आ रही है। और बेरोजगारी के मुद्दे पर भी भाजपा को घेर रही है।

2017 और 2022 के तीसरे चरण में क्या रहा अंतर  

2022 के विधानसभा चुनावों में कुल 60.18% लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, तीसरे चरण के मतदान के दौरान 93 ईवीएम और 351 वीवी पैट में गड़बड़ी आई, जिसे बदला गया। चुनाव के दौरान आयोग को कुल 399 शिकायतें मिलीं। इसमें से 97 शिकायतें सही मिली। इस दौरान फ्लाइंग स्क्वायड व स्टैटिक सर्विलांस टीम को कुल 271 मामले आचार संहिता उल्लंघन के मिले, जिसमें आयोग के द्वारा उपयुक्त कार्रवाई की गई।

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वहीँ आपको बता दें  2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में 12 जिलों की 69 सीटों पर मतदान हुआ था तीसरे चरण में कुल 61.16 फ़ीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। 2017 में उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले की महरौनी विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा मतदान हुआ था। कुल 74.16% फीसदी मतदान के साथ यह सीट सबसे टॉप पर थी। इस चुनाव में बीजेपी से मनोहर लाल ने बसपा के सरहाल लाल को 99564 वोटों के अंतर से हराया था। हालांकि सीट पर लंबे समय से सपा और बसपा का दबदबा था

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