देश में जैसे ही चुनाव नजदीक आते हैं। राजनीतिक पार्टियां जनता को साधने डायरेक्ट बेनिफिट वाली स्किम के बड़े-बड़े वायदें करती है। जिससे जनता की जेबों में सीधे पैसे जा सकें। ताकि जनता को साधकर उनके वोट हासिल कर सकें।
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रायपुर। देश में जैसे ही चुनाव नजदीक आते हैं। राजनीतिक पार्टियां जनता को साधने डायरेक्ट बेनिफिट वाली स्किम के बड़े-बड़े वायदें करती है। जिससे जनता की जेबों में सीधे पैसे जा सकें। ताकि जनता को साधकर उनके वोट हासिल कर सकें।
इन दिनों छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा चुनाव हैं और यहां लगातार केन्दीय तथा क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों द्वारा सत्ता हासिल करने बड़े-बड़े वायदें किए जा रहे हैं। क्षेत्रीय दल जनता कांग्रेस जोगी द्वारा स्टाम्प पेपर में लिखकर डायरेक्ट बेनिफिट वाली स्किम देने की गारंटी दी गई हैं तो दूसरी ओर पहली बार प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों में चुनाव लड़ रही आप पार्टी ने भी 10 गारंटी दी है जो डायरेक्ट बेनिफिट वाली योजना हैं।
वहीं, भाजपा ने इस बार सत्ता में लौटने पीएम मोदी को छत्तीसगढ़ में आगे कर जनता से भ्रस्टाचार मुक्त और जनहितैषी योजनाओं के वायदें किये गए।इन सबके बीच प्रदेश में सत्ता पर काबिज भूपेश बघेल की सरकार द्वारा ऐसे ही डायरेक्ट बेनिफिट वाली योजनाओं के जरिये भरोसे का सम्मेलन आयोजित कर प्रदेश की जनता को सीधें योजनाओं का लाभ देते हुए उनके खातों में रकम भेजी जा रही है।
कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में मुफ्त योजनाओं वाली स्कीमों के जरिये अब तक 1।5 लाख करोड़ रुपये जनता के खातों में भेज चुकी हैं। चाहे वो धान के समर्थन मूल्य की बात हो या अन्य उयोजनों के जरिये। इसीलिए छत्तीसगढ़ में डायरेक्ट बेनिफिट वाली स्कीमों पर केंद्रीय और क्षेत्रीय दलों द्वारा गारंटी दी जा रही है ताकि ऐसी योजनाओं में जनता का समर्थन पाकर सत्ता हासिल की जा सकें।
आपको बता दें कि 2018 में धान के समर्थन मूल्य में वृद्धि का वायदा भी डायरेक्ट बेनिफिट वाली स्किम है जिसके जरिये कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में लौट सकी थी। आज हम राजनीति दलों द्वारा किये जा रहे वायदों और सरकार की डायरेक्ट बेनिफिट स्किम वाली योजनाओं पर बात करेंगे कि क्या ऐसी योजनाएं प्रदेश के विकास के लिए काफी है या नहीं। क्योंकि छत्तीसगढ़ में लगातार नई-नई योजनाओं की घोषणा हो रही है पर विकास पर अब भी राजनीतिक पार्टियां सरकार को घेरे हुए हैं।