29 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो चुका है। ये वह समय है, जब मृत पूर्वज के सम्मान में कोई भी मांगलिक या शुभ कार्य का आयोजन नहीं किया जाता। इस समय श्राद्ध कर्म कर, भोजन बनाकर कौवा, गाय, कुत्ता और चींटी के लिए एक अंश निकाला जाता है।
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नई दिल्ली। 29 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो चुका है। ये वह समय है, जब मृत पूर्वज के सम्मान में कोई भी मांगलिक या शुभ कार्य का आयोजन नहीं किया जाता। इस समय श्राद्ध कर्म कर, भोजन बनाकर कौवा, गाय, कुत्ता और चींटी के लिए एक अंश निकाला जाता है।
पितृ पक्ष में तिथि अनुसार उनका मनपसंद भोजन बनाकर ये भोजन उन्हें अर्पित किया जाता है, जिससे वे प्रसन्न होते हैं। पितरों को प्रसन्न करने के लिए कुछ फूल भी हैं, जिन्हें अर्पित करके आशीर्वाद लिया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष में पितरों के निमित्त की जाने वाली पूजा, सामान्य पूजा से पूरी तरह अलग होती है।
इसलिए इस दौरान प्रत्येक फूलों का इस्तेमाल वर्जित माना गया है। श्राद्ध कर्म की पूजा में सफेद फूलों का विशेष महत्व है, इसके अलावा चंपा, जूही, मालती और कमल के फूल का उपयोग करना शुभ माना गया…ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्राद्ध पूजा में भूलकर भी कदंब, बेलपत्र, केवड़ा, अधिक सुगंधित, काले रंग के या लाल रंग के फूलों का उपयोग नहीं करना चाहिए। इनके उपयोग से पितृ नाराज हो सकते हैं।