उत्तराखंड में लोकायुक्त को लेकर हमेशा ही सियासी दल राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम करते आए हैं।लेकिन अब हाईकोर्ट इस मामले पर सख्त हो चुका है। राज्य सरकार को सख्त निर्देश देते हुए तीन महीने के भीतर लोकायुक्त नियुक्त करने का आदेश दिया है।
Updated Date
देहरादून। उत्तराखंड में लोकायुक्त को लेकर हमेशा ही सियासी दल राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम करते आए हैं।लेकिन अब हाईकोर्ट इस मामले पर सख्त हो चुका है। राज्य सरकार को सख्त निर्देश देते हुए तीन महीने के भीतर लोकायुक्त नियुक्त करने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य में एक बार फिर लोकायुक्त को लेकर सियासत गरम हो चुकीं है। हाई कोर्ट राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए तीन महीने में लोकायुक्त नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं। वैसे लोकायुक्त को लेकर बीजेपी जहां पहले पूर्व मुख्यमंत्री जनरल बीसी खंडूरी के लोकायुक्त को सही और कठोर बताती थी ।
वहीं अब सत्ता में होने के बाद भी अभी तक नए लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर पाई है। जबकि सत्ता पर रहते हुए भाजपा की सरकार को दूसरा टर्म शुरू हुए लगभग डेढ़ साल का समय पूरा हो चुका है। यही वजह है की अब लोकायुक्त जैसे गंभीर मुद्दे पर बीजेपी के नेता सफाई देते हुए नजर आ रहे हैं।
जबकि कांग्रेस कटाक्ष करते हुए ये साबित कर रही है कि सरकार लोकायुक्त को लेकर गंभीर नहीं है तो क्या वकाई में बीजेपी सरकार की मंशा लोकायुक्त नियुक्त करने की नहीं है। आज ये सवाल सियासी गलियारों में गूंज रहा है क्योंकि उत्तराखंड में पिछले तीन सालों में कई भ्रष्टाचार उजागर हुए हैं । जो उत्तराखंड की छवि को धूमिल करने का काम कर रहे हैं।