अब तक केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश 12वीं कक्षा के प्राप्त अंकों के आधार पर मिलता था।
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नई दिल्ली, 22 मार्च। देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2022-23 से स्नातक कार्यक्रमों में दाखिला केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (CUET) की मेरिट के आधार पर होगा। ये प्रवेश परीक्षा 13 भाषाओं में आयोजित की जाएगी। आवेदन की प्रक्रिया अप्रैल के पहले हफ्ते से शुरू होगी।
For admission in Undergraduate programs from academic session 2022-2023 in all UGC funded Central Universities, the Common University Entrance Test (#CUET) will be conducted in 13 languages. Application will be available in 1st week of April 2022. Link: https://t.co/dKUGq46jH4
— Ministry of Education (@EduMinOfIndia) March 22, 2022
शिक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को जारी सार्वजनिक नोटिस को साझा करते हुए कहा कि सभी UGC वित्त पोषित केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2022-2023 से स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए, सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (CUET) 13 भाषाओं में आयोजित की जाएगी। आवेदन अप्रैल 2022 के पहले सप्ताह में उपलब्ध होगा। गौरतलब है कि अब तक केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश 12वीं कक्षा के प्राप्त अंकों के आधार पर मिलता था।
13 भाषाओं में होगी प्रवेश परीक्षा
UGC के सार्वजनिक नोटिस के मुताबिक राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) द्वारा CUET का आयोजन हिन्दी, मराठी, गुजराती, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, उर्दू, असमिया, बंगाली, पंजाबी, उड़िया और अंग्रेजी भाषाओं में किया जाएगा। इसमें आगे कहा गया है कि CUET को राज्य, निजी और डिम्ड विश्वविद्यालयों द्वारा भी अपनाया जा सकता है।
प्रवेश देना सभी विश्वविद्यालयों की सामाजिक जिम्मेदारी
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के चेयरमैन जगदीश कुमार ने कहा कि हमने विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) को अनिवार्य बनाने का फैसला किया है, जो 13 अलग-अलग भाषाओं में दिया जा सकता है। हमने छात्रों को बहुत सारे विकल्प दिए हैं। उन्होंने कहा कि हमने एक सार्वजनिक नोटिस भी जारी किया है जो स्पष्ट रूप से कहता है कि सभी विश्वविद्यालय प्रवेश के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा स्कोर का उपयोग कर सकते हैं। सीयूईटी स्कोर को ध्यान में रखते हुए स्नातक के तहत प्रवेश देना सभी विश्वविद्यालयों की सामाजिक जिम्मेदारी है।
जगदीश कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालयों से कहा गया है कि उनकी मौजूदा आरक्षण और प्रवेश नीति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा, लेकिन प्रवेश केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) के आधार पर होना चाहिए।