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योगी आदित्यनाथ के प्रस्तावकों का कितना है सामाजिक प्रभाव ? पढ़ें पूरी खबर

सीएम योगी ने आज गोरखपुर सीट से बतौर भाजपा उम्मीदवार नामांकन पत्र दाखिल किया। इस दौरान उनके साथ केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहें।साथ ही सीएम योगी के साथ चार अलग अलग समुदाय से प्रस्तावक भी मौजूद थें। समाज में उनका कितना प्रभाव है और इसके पीछे भाजपा की क्या रणनीति है इससे जानने के लिए आगे पढ़ें।

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

UP Assembly Election 2022 : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को गोरखपुर सदर सीट से नामांकन किया है। उनके नामांकन में चार प्रस्तावकों को भाजपा ने बहुत सोच समझकर चुना है। माना जा रहा है कि इसमें भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग का खयाल रखा है। इन प्रस्तावकों के चयन में जातीय और सामाजिक संतुलन तो दिख ही रहा है, साथ में इनका अपना सामाजिक प्रभाव भी है। आइए, योगी के प्रस्तावकों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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सुरेंद्र कुमार अग्रवाल

वैश्य समाज से आने वाले सुरेंद्र कुमार अग्रवाल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के कई बार अध्यक्ष रह चुके हैं। वह स्थानीय स्तर पर उद्यमियों के सर्वमान्य प्रतिनिधि माने जाते हैं। आईआईटी रुड़की से केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले अग्रवाल उद्यमी हैं और गीडा में उनकी अपनी केमिकल प्रोडक्ट की यूनिट है। वह योगी के संसदीय जीवन के प्रारंभ से ही उनके साथ जुड़े हुए हैं। गोरखपुर में रेडीमेड गारमेंट की ओडीओपी में शामिल कराने और गीडा में रेडीमेड गारमेंट पार्क की स्थापना को लेकर अग्रवाल के सुझावों पर मुख्यमंत्री ने निर्णायक मुहर लगाई है। व्यापारी वर्ग में इनकी अच्छी पैठ मानी जा रही है।

डॉ मंगलेश श्रीवास्तव

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और मशहूर पैथॉलॉजिस्ट डॉ मंगलेश श्रीवास्तव महानगर में सामाजिक सरोकारों के निर्वहन के लिए भी जाने जाते हैं। उनकी कायस्थ समाज में मजबूत पैठ तो है ही, संस्कार भारती जैसे संगठन से जुड़कर वह समाज के हर वर्ग की प्रतिभाओं को मंच देने में अपनी महती भूमिका निभाते रहे हैं। डॉ मंगलेश का भी गोरक्षपीठ के सामाजिक प्रकल्पों से गहरा जुड़ाव रहा है। वह चिकित्सक समुदाय के बीच भी खासे लोकप्रिय हैं।

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मयंकेश्वर नाथ पांडेय

मंकेश्वर नाथ पांडेय उस नेशनल एजुकेशनल सोसाइटी के प्रबंधक हैं जो एमजी इंटर कॉलेज, पीजी कॉलेज समेत कई शिक्षण संस्थानों का संचालन करती है। ब्राह्मण और कायस्थ दोनों समाजों का प्रतिनिधित्व करने वाले मंकेश्वर नाथ गोरक्षपीठ के सामाजिक अभियानों में सहभागी बनते रहे हैं। एक शिक्षाविद के रूप में उनकी ख्याति पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में है। वह वर्ष 2007 में खुद भी शहर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं। अपनी पारिवारिक और सामाजिक पृष्ठभूमि से ब्राह्मणों और कायस्थों में खासे लोकप्रिय हैं।

विश्वनाथ प्रसाद

रैदास मंदिर समिति के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद सीएम योगी के नामांकन के लिए एक सेट प्रपत्र के प्रस्तावक हैं। अनुसूचित जाति से आने वाले विश्वनाथ समाजिक समरसता की उसी विचारधारा के प्रतिनिधि हैं जिसे गुरु गोरक्षनाथ, उनके उपासकों और संत रैदास ने अपने जीवन का मूल मंत्र बनाया। विश्वनाथ प्रसाद गोरक्षपीठ और उसके महंतों के छुआछुत और सामाजिक भेदभाव समाप्त करने के अभियान से न केवल प्रभावित हैं बल्कि खुद भी उससे जुड़े हुए हैं। उन्हें अनुसूचित वर्ग के लोगों में सामाजिक चेतना के लिए अभियान चलाने के लिए भी जाना जाता है।

यानी देखा जाय तो भाजपा ने बहुत सोच समझ कर सभी समुदाय एवं सभी वर्गों के वोटरों को साधने के लिए यह फैसला किया है। हालांकि देखना दिलचस्प होगा कि गोरखपुर के वोटर किस हद तक सीएम योगी को जीत दिलानें में मदद करते हैं। क्योंकि वैसे भी गोरखपुर सीट भाजपा के अभेद किले के रूप में जानी जाती है। यहां से सीएम योगी लगातार चार बार सांसद चुन कर संसद पहुंचे हैं। लिहाजा अब इन प्रस्तावकों का चयन बता रहा है कि आदित्यनाथ ने अपने प्रस्तावकों के जरिए सामाजिक समीकरण साधने की पूरी कोशिश की है।

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