राजस्थान की अलवर लोकसभा सीट का मिजाज कुछ अलग है.इस सीट पर 11 बार जीत दर्ज करने के बाद भी कांग्रेस इसे अपना गढ़ होने का दावा नहीं कर पा रही.दरअसल यहां की राजनीति में हर पांच साल में बड़े फेरबदल देखने को मिलते है.यहां हर चुनाव में जीतने वाली पार्टी या प्रत्याशी बदल जाते हैं.जानते है इस सीट की सयासी गणित
Updated Date
अलवर लोकसभा सीट
अलवर लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ था.अब तक यहां हुए 18 लोकसभा चुनावों में 11 बार कांग्रेस को जीत मिली है.वहीं चार बार बीजेपी तो एक बार स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी भी जीत चुके हैं.अलवर लोकसभा सीट पर यादवों का दबदबा रहा है.अलवर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं- तिजारा, किशनगढ़, मुंडावर, बहरोड़, अलवर ग्रामीण, अलवर शहरी, रामगढ़ और राजगढ़.2019 लोकसभा चुनाव में अलवर सीट से बीजेपी के प्रत्याशी बालक नाथ ने जीत हासिल की थी.उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार भंवर जितेंद्र सिंह को हराया था.इस बार बीजेपी ने इस सीट से भूपेन्द्र यादव को मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने ललित यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है.
कांग्रेस प्रत्याशी ललित यादव राठ क्षेत्र से आते हैं.मुंडावर, बहरोड़ और बानसूर में उनकी सीधी पकड़ है.लेकिन बीजेपी प्रत्याशी भूपेंद्र यादव के लिए यह प्लस पॉइंट है कि यहां के शहरी क्षेत्रों में बीजेपी मजबूत स्थिति में है.उनके समर्थन में अमित शाह भी सभा कर चुके हैं.अलवर शहर विधायक संजय शर्मा और पूर्व विधायक रामहेत यादव दोनों भूपेंद्र यादव के नजदीकी माने जाते हैं.इन दोनों ने पूरी ताकत लगाकर भूपेन्द्र यादव का प्रचार किया हैं.इस सीट पर भले ही सीधा मुकाबला बीजेपी-कांग्रेस में है लेकिन तीसरे फैक्टर के तौर पर बसपा भी यहां मौजूद है.
सियासी समीकरण हमेशा बदलते रहते है.इस बार किसका दाव जनता को रिझाने में सफल हो पाया है ये तो आने वाली 4 जून को ही पता चल पाएगा.