दिल्ली एम्स के सर्वर को फिर से बहाल कर लिया गया है. देश के इस बेहद प्रतिष्ठित अस्पताल का सर्वर करीब 6 दिन तक डाउन रहा, जिसके चलते सभी सेवाएं मैनुअल मोड पर चल रही हैं. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जल्द ही सेवाओं को ऑनलाइन शुरू कर दिया जाएगा.
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AIIMS Delhi दिल्ली एम्स के नेटवर्क और डेटा पर हुए साइबर अटैक के बाद मंगलवार को एम्स ने बयान जारी किया है. एम्स प्रशासन के अनुसार, ई-अस्पताल का डेटा सर्वर पर बहाल कर दिया गया है. सेवाओं को बहाल करने से पहले नेटवर्क को सैनिटाइज किया जा रहा है. अस्पताल सेवाओं के लिए डेटा की मात्रा और बड़ी संख्या में सर्वर/कंप्यूटर के कारण प्रक्रिया में कुछ समय लग रहा है.साइबर सुरक्षा के लिए उपाय किए जा रहे हैं.ताकि भविष्य में फिर इस तरह का खतरा पैदा न हो. जब तक सेवाएं पूरी तरह से बहाल नहीं हो जातीं तब तक सभी अस्पताल सेवाएं, जिनमें आउट पेशेंट, इन-पेशेंट, प्रयोगशालाएं आदि शामिल हैं, मैनुअल मोड में चलती रहेंगी.
आशंका जताई जा रही है कि 23 नवंबर को सर्वर डाउन होने के चलते तीन से चार करोड़ मरीजों के डेटा का लीक होने का खतरा बढ़ गया था. इसमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री और कई अन्य मंत्रियों का डेटा शामिल है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि जांच एजेंसियों की सिफारिशों पर अस्पताल में कंप्यूटर पर इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. एम्स के सर्वर में पूर्व प्रधानमंत्रियों, मंत्रियों, नौकरशाहों और न्यायाधीशों समेत कई अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों (वीआईपी) का डेटा स्टोर है. भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल (सर्ट-इन), दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि जांच कर रहे हैं. दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस इकाई ने 25 नवंबर को जबरन वसूली और साइबर आतंकवाद का मामला दर्ज किया था.
आपको बता दें कि एम्स, दिल्ली का सर्वर हैक हो गया था. हैकर्स ने संस्थान से क्रिप्टोकरेंसी में 200 करोड़ रुपये की मांग की थी. हालांकि, पुलिस ने इससे इनकार किया सर्वर ठप होने के कारण मंगलवार को भी सभी काम मैनुअल किए गए.
23 नवंबर को हैक हुआ था सर्वर
गौरतलब है कि 23 नंवबर की सुबह एम्स का सर्वर हैक हो गया था. एम्स प्रशासन ने इसकी शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद जांच एजेंसियां सतर्क हुईं और जांच शुरू की गई. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) इसकी जांच में शामिल हो गई थी. इंडिया कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (सीईआरटी-आईएन), दिल्ली पुलिस, इंटेलिजेंस ब्यूरो, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और गृह मंत्रालय (एमएचए) के प्रतिनिधि पहले से ही घटना की जांच कर रहे हैं.