चंद्रयान-3 की सफलता के कुछ दिन बाद भारत ने शनिवार को अपने पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल-1’ को प्रक्षेपित किया। प्रक्षेपण ISRO के रॉकेट पीएसएलवी से किया गया। सूर्य के अध्ययन के लिए ‘आदित्य एल-1’ को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर ‘लैग्रेंजियन-1’ बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे।
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श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)। चंद्रयान-3 की सफलता के कुछ दिन बाद भारत ने शनिवार को अपने पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल-1’ को प्रक्षेपित किया। प्रक्षेपण ISRO के रॉकेट पीएसएलवी से किया गया।
सूर्य के अध्ययन के लिए ‘आदित्य एल-1’ को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर ‘लैग्रेंजियन-1’ बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे। भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य-एल-1 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच हुआ।
आदित्य एल-1 मिशन पर इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने कहा कि यह मिशन बहुत महत्वपूर्ण है। आदित्य एल-1 को लैग्रेंजियन पॉइंट 1 के आसपास रखा जाएगा, जहां पृथ्वी और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल लगभग शून्य हो जाता है और न्यूनतम ईंधन के साथ, हम वहां अंतरिक्ष यान बनाए रख सकते हैं।
इसके अलावा 24/7 अवलोकन संभव है। अंतरिक्ष यान में सात उपकरण लगाए गए हैं। इस मिशन के डेटा से वायुमंडल में होने वाली विभिन्न घटनाओं, जलवायु परिवर्तन अध्ययन आदि को समझाने में मदद मिलेगी।
स्पेसक्राफ्ट को L-1 प्वाइंट तक पहुंचने में करीब 120 दिन यानी 4 महीने लगेंगे। इसरो के अधिकारियों ने बताया कि जैसे ही 23.40 घंटे की उलटी गिनती समाप्त हुई। 44.4 मीटर लंबा ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 11.50 बजे निर्धारित समय पर आसमान की तरफ रवाना हुआ।
अंतरिक्ष यान 125 दिन में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करने के बाद लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल-1’ के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित होगा। यह वहीं से सूर्य पर होने वाली विभिन्न घटनाओं का अध्ययन करेगा।